Header Ads

Implantation Bleeding : क्या है इंप्लांटेशन ब्लीडिंग , लक्षण एवम् इलाज

नई दिल्ली। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी गर्भावस्था का एक आम लक्षण है, जिससे गर्भवस्था से जुड़ी शंका को दूर किया जा सकता है। इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग या स्पॉटिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और गर्भावस्था के शुरुआती आम लक्षणों में से एक है। इस दौरान बहुत कम समय के लिए हल्की ब्लीडिंग होती है। इस कारण माना जाता है कि स्पॉटिंग चिंता का विषय नहीं है, फिर भी भ्रूण की सही स्थिति और विकास को निश्चित करने के लिए अपने डाक्टर को आपको संपर्क जरूर कर लेना चाहिए।

यह भी पढ़े-यूरिन इंफेक्शन को काम करें ये योगा


क्या है इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग या स्पॉटिंग एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और गर्भावस्था के शुरुआती आम लक्षणों में से एक है। इस दौरान बहुत कम समय के लिए हल्की ब्लीडिंग होती है। इस कारण माना जाता है कि स्पॉटिंग चिंता का विषय नहीं है, फिर भी भ्रूण की सही स्थिति और विकास को निश्चित करने के लिए अपने गायनोकोलॉजिस्ट के निर्देश के अंतर्गत सोनोग्राफी करवाना जरुरी है ।

कितने दिन तक ब्लीडिंग है नॉर्मल
सभी महिलाओं का शरीर और उनकी गर्भावस्था एक जैसी नहीं होती। इसी वजह से कुछ महिलाओं को यह ज्यादा और कुछ को कम समय के लिए हो सकती है। आमतौर पर इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग एक दिन तक हो सकती है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग पीरियड के कितने दिन पहले होती है ।

यह भी पढ़े-डेंगू से बचने के घरेलू उपाय

जैसा कि हम बता चुके हैं कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग गर्भावस्था के लक्षणों में से एक होता है। ऐसे में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग या स्पॉटिंग के बाद पीरियड नहीं आते । हां, कुछ महिलाओं को इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग माहवारी की तारीख के आसपास होती है, जो आम बात है। इसे मासिक धर्म समझने की गलती न करें ।


प्रेगनेंसी इम्प्लांटेशन के लक्षण

थकान –गर्भवस्था के शुरुआती दौर में महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन की मात्रा बढ़ने लगती है, जिस कारण उसे थकावट महसूस हो सकती है।

मूड स्विंग — गर्भावस्था के शुरुआती एक हफ्ते में ही महिला का मूड स्विंग होने लगता है। इसका कारण भी हॉर्मोनल बदलाव हो सकते हैं।
उपाय
एनसीबीआई द्वारा प्रकाशित एक शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि विभिन्न पोषक तत्व लेने से इम्प्लांटेशन की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। इनमें संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, हल्के डेयरी उत्पाद, प्रोटीन और अनसैचुरेटेड फैट को शामिल किया गया है। इनके साथ ही मेडिटरेनीयन डाइट भी महिलाओं की इंप्लांटेशन की क्षमता को बढ़ाने में सहायक हो सकती है।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3xB05Qg

No comments

Powered by Blogger.