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ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम की जीत को रवि शास्त्री ने बताया सबसे खास

Indian Cricket Team Image Source : TWITTER

भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा कोच रवि शास्त्री साल 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट सीरीज में मिली जीत को अपने करियर का सबसे यादगार पल करार दिया। भारतीय टीम 71 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया को उसकी धरती पर टेस्ट सीरीज में मात दी थी। भारत एशिया की पहली टीम है जो यह कारनामा किया। इस टेस्ट सीरीज के अलावा शास्त्री ने साल 1985 में लिमिटेड ओवर्स के लिए अपने ऑस्ट्रेलिया दौरे को भी याद किया।

'सोनी टेन' के एक कार्यक्रम में बात करते हुए शास्त्री ने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मैं एक कोच के अलावा साल 1985 में एक खिलाड़ी के तौर भी पर भारतीय टीम का हिस्सा रह चुका हूं। मेरे लिए यह एक शानदार एहसास है। 2018-19 में विराट कोहली की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया को उसके घर में हराना काफी मुश्किल था। क्योंकि 71 सालों में कोई भी एशियाई टीम ऐसा नहीं कर पाई थी लेकिन 1985 में जो भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज खेलने गई थी वह मौजूदा टीम से भी बेहतर थी। हालांकि मैं दोनों ही टीमों का हिस्सा रह चुका हूं और दोनों ही जीत मेरे लिए खास है।''

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आपको बता दें कि भारतीय टीम 2018-19 में कोहली के नेतृत्व में चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। यहां भारतीय टीम को पहले ही मैच में 34 रनों से हार का सामना करना पड़ा था और यह ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए 1000वीं इंटरनेशनल जीत थी। इस हार के बाद भारतीय टीम ने धमाकेदार वापसी की और सीरीज 2-1 से अपने नाम किया। इस तरह टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने वाली पहली ऐशियाई टीम बनी।

इसके अलावा शास्त्री ने साल 1985 में वनडे सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई उस भारतीय टीम का भी जिक्र किया में जिसने कंगारू टीम को करारी मात दी थी।

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शास्त्री ने कहा, ''मैं कपिल देव की कप्तानी में साल 1983 विश्व कप विजेता टीम का भी हिस्सा रहा हूं और 1985 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई टीम का भी, दोनों में काफी अंतर है। मैं तो यह सकता हूं कि 1985 में जो भारती टीम थी वह आज के मौजूदा टीम से भी बेहतर थी।''

उन्होंने कहा, ''इस पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठता है। वह टीम (1985) सफेद गेंद क्रिकेट में किसी भी टीम को हरा सकती थी। वह एक बेहतरीन टीम थी।''

शास्त्री ने कहा, ''अगर आप उस टीम की तुलना 1983 विश्व कप टीम से करेंगे तो आप देखेंगे कि उसमें 80 प्रतिशत खिलाड़ी वही हैं जो विश्व कप टीम में थे लेकिन कुछ नए युवा खिलाड़ी टीम में आए जिन्होंने खेल के अंदाज को पूरी तरह से बदल कर दिया था। इसमें खास तौर से शिवरामाकृष्णन, सदानंद विश्वनाथ और अजहरुउद्दीन जैसे खिलाड़ी शामिल थे।

 



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