'83' और 'सूर्यवंशी' के मेकर्स बोले- सारी फिल्में सीधे ओटीटी पर नहीं जा सकतीं, प्रोड्यूसर्स रिटर्न के आधार पर तय करेंगे
लॉकडाउन के बीच ओटीटी प्लेटफॉर्म 'अमेजन प्राइम' पर सात नई फिल्मों की डायरेक्ट रिलीज की घोषणा के साथ ही ये तय माना जा रहा है कि छोटे और मीडियम बजट की फिल्में वहीं पर जाने वाली हैं। हालांकि बड़े बजट की फिल्में बना चुके कॉरपोरेट अभी भी लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। खासकर '83' और 'सूर्यवंशी' जैसी बड़े बजट की फिल्में बनाने वाले रिलायंस एंटरटेनमेंट अब भी इस बात पर कायम है कि वो अपनी फिल्म को पहले सिनेमाघरों में रिलीज करेंगे। कंपनी के सीईओ शिवाशीष सरकार ने इस बारे में दैनिक भास्कर से खास बातचीत करते हुए तमाम सवालों के जवाब दिए।
सवाल- अगले एक साल सिनेमाघर के खुलने के आसार कम हैं। ऐसे में फिल्म प्रोड्यूसर्स के पास प्लान बी क्या हो सकता है?
शिवाशीष- 'मैं इतना निराशावादी होकर नहीं सोच रहा। मुझे पूरा विश्वास है कि बदतर स्थिति में भी बाकी देशों के साथ-साथ भारत को भी मिला दें तो अगस्त-सितंबर से सिनेमाघर खुलने वाले हैं। हमसे संबंधित जो ओवरसीज मार्केट हैं, यकीन मानिए वहां पर भी जून-जुलाई से सिनेमाघर खुलने शुरू हो जाएंगे। वो भी रूल्स रेगुलेशंस के साथ। अब से फिल्में सिनेमाघर के लिए भी बनेंगी और ओटीटी के लिए भी बनेंगी।'
सवाल- मौजूदा हालात को देखते हुए इतने विश्वास से यह बात कैसे कही जा सकती है?
शिवाशीष- 'वो इसलिए क्योंकि हमारे प्रोड्यूसर ना तो बिना सिनेमा हॉल के सरवाइव कर सकते हैं और न सिनेमाघर हमारे प्रोड्यूसर्स के बगैर सरवाइव कर सकते हैं। आज की तारीख में देश में जितने सिनेमाघर हैं और जितनी फिल्में बनती हैं, सब की सब ओटीटी पर नहीं जा सकती। लिहाजा प्रोड्यूसर्स के पास ऑप्शन बी यही होना चाहिए कि वे इंतजार करें। मैं होल्ड करने को नहीं कह रहा, सिर्फ इंतजार करने को कह रहा हूं। ऐसा नहीं है कि कोई मीडियम बंद हो जाएगा।'
सवाल- पर ट्रेड में तो यही हवा है कि जो भी फिल्म अगर 40 करोड़ की है तो उसको ओटीटी वाले 60 करोड़ तक का ऑफर दे रहे हैं? सीधे तौर पर टेबल प्रॉफिट है। प्रोड्यूसर्स को प्रमोशन का भी खर्च नहीं है। फिर तो सब जाएंगे उधर?
शिवाशीष- 'यह तथ्य तो है कि आज की तारीख में ढेर सारी फिल्में हैं जो 35 से 40 करोड़ के बजट में है। यह बात ओटीटी वालों को भी पता है। पर फैक्ट ये भी है कि उस बजट की फिल्मों के लिए कोई भी 60 करोड़ तो नहीं दे रहा है। प्रोड्यूसर्सको बस एक प्रॉफिट मार्जिन दिया जा रहा है। प्रमोशन का खर्च नहीं हो रहा है। यह बात भी जरूर है। प्रोड्यूसर को ओटीटी पर जाने में कोई दिक्कत नहीं है। आखिर उसका पैसा निवेश है और उस पर ब्याज भी लग रहा है। उसेअपने स्टाफ को सैलरी देनी पड़ रही है तो वह यकीनन ओटीटी पर जाएगा। हर किसी की अपनी कैपेसिटी है। कोई किसी को जज नहीं कर सकता, लेकिन यह बात भी है कि बेतहाशा पैसा तो नहीं मिल रहा। और यह एक तरह का बिजनेस मॉडल बन जाएगा सबके लिए, वैसा भी नहीं है।'
सवाल- इसलिए शायद क्योंकि देश में काफी फिल्में बनती हैं?
शिवाशीष- 'जी हां सारी लैंग्वेज को मिला दें, तो भी देश में 1000 फिल्में बनती हैं हर साल। हिंदी में कम से कम 200 फिल्में बनती हैं हर साल। 40-50 ढंग के बजट वाली फिल्में होती हैं। यह तो तय है कि 200 फिल्मों को खरीदने की क्षमता अगर सब ओटीटी प्लेटफार्म मिल भी जाएं तो भी नहीं है। तीसरी चीज यह भी है कि अभी भी बॉक्स ऑफिस का 60 प्रतिशत थिएटरों से ही आता है। उस रेवेन्यू को कोई भी प्रोड्यूसर लंबे समय तक नहीं छोड़ सकता है। लिहाजा जब 3, 6 या 8 महीने बाद जब कभी सिनेमा घरों की हालत अच्छी होगी तो सब लोग फिर से सिनेमा घरों की ओर ही लौटेंगे। बाकी 40 करोड़ का अगर 60 करोड़ मिलने लग जाएं तो लोग बाकी बिजनेस छोड़कर इसी तरफ आ जाएं।'
सवाल- '83' के लिए ऑफर आया था। 'सूर्यवंशी' के लिए भी आया ही होगा?
शिवाशीष- 'जी हां पिछले दो महीनों में सभी प्लेटफार्म वालों ने अप्रोच तो किया ही है। मैं उस डिस्कशन में नहीं जाऊंगा, कि '83' को 143 करोड़ रुपए का ऑफर आया था। वो जायज नहीं है। हमारा स्टैंड शुरू से क्लियर रहा है, हमारे डायरेक्टर इंतजार करना चाहते हैं। जितनी हमारी क्षमता है, जब तक हम कर सकते हैं।'
सवाल- '83' में दीपिका पादुकोण फिल्म की को-प्रोड्यूसर हैं? उन्हें भी इस डिस्कशन का हिस्सा बनाया जाता रहा है?
शिवाशीष- 'हमारे फैसले कबीर खान और रोहित शेट्टी मिलकर ले रहे हैं।'
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