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डेट और म्युचुअल फंड मार्केट का भविष्य तय करेगा RBI का एक और रेट कट!

नई दिली। आईएमएफ से लेकर फिच, मूडीज, वल्र्ड बैंक तमाम आर्थिक एजेंसिया ग्लोबल इकोनॉमी को लेकर चिंता जता रही है। सभी का यही कहना है कि दुनिया के सामने ग्रेट रिसेसशन के बाद सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती है, जो कोरोना वायरस के किए लॉकडाउन की वजह से खड़ी हुई है। वहीं बात भारत की करें तो यहां भी वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी को 1.6 फीसदी से 2 फीसदी तक आने का अनुमान लगाया है। वैसे केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से पब्लिक और मार्केट सेंटीमेंट को बढ़ाने के लिए कदम उठाएं है साथ ही और भी कदम उठाने पर काम कर रही है। लेकिन सरकार को अब जल्द ही नए बूस्टर डोज देने की जरुरत है। वहीं आरबीआई का इसमें एक अहम रोल होने जा रहा है। अगर निकट भविष्य में रेट करता है तो डेट और म्यूचुअल फंड मार्केट में इसका फायदा मिलेगा। आपको बता दें कि मार्केट में उतार-चढ़ाव में वृद्धि और विदेशी मुद्रा निवेशकों द्वारा म्यूचुअल फंडों में भारी बिकवाली ने ऋण बाजारों को प्रभावित किया गया था, जिससे बांड पर भी असर देखने को मिला था।

आरबीआई करे एक और रेट कट
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड में फिक्सड इनकम के सीआईओ महेंद्र जाजू का कहना है कि 27 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए 75 बेसिस अंको की कटौती की। वही सीआरआर को भी 100 बेसिस प्वाइंट तक घटाया। इसके अलावा बैंक ने बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए सिस्टम में 3.74 लाख करोड़ रुपए डाले। आरबीआई के इन कदमों से बॉन्ड मार्केट पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी आरबीआई की तरफ से एक और रेट कट किया जाएगा। जिससे डेट और म्युचुअल फंड मार्केट को मदद मिलेगी और बॉन्ड पैदावार पर तत्काल और निकट-अवधि के प्रभाव पर सकारात्मक असर दिखने को मिलेगा। वहीं उन्होंने कहा कि सरकार को पहले से ही बड़े पैमाने पर और भी उपाय करने होंगे। हालांकि विशेष रूप से गरीब और दैनिक वेतन भोगियों के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही 1.7 लाख लाख रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की है। अब स्थिति को सामान्य करने के लिए और उपभोग पुनरुद्धार के लिए अर्थव्यवस्था को एक बूस्टर शॉट देने जरुरत है।

कच्चे तेल की मौजूदा कीमतों से देश को होगा फायदा
महेंद्र जाजू ने कहा कि कच्चे तेल की गिरती कीमतें सरकार के लिए फायदे की बात साबित हो सकती है। ब्रेंट क्रूड की बात करें तो यह 30 डॉलर प्रति बैरल के आसपास कारोबार कर रहा है। जिससे ब्रेंट मूल्य पूर्वानुमान को मानते हुए, भारत 2.5 ट्रिलियन (2.5 लाख करोड़ रुपए) यानी (जीडीपी का 1 फीसदी) से अधिक हासिल करने के का मौका मिलेगा। केंद्र और राज्य सरकारों के लिए यह मददगार साबित हो सकता है। तेल की बचत से कुछ हद तक राजकोषीय घाटे को कम करने में मदद मिलेगी, हालांकि यह पर्याप्त नहीं हो सकता है और इसके लिए जरूरी कदम राजकोषीय घाटे और मुद्रास्फीति के उद्देश्यों को अच्छी तरह से भंग कर सकते हैं जो सरकार ने खुद के लिए निर्धारित किए हैं।

बुनियादी बातों से जुड़े रहें
जाजू ने कहा कि मौजूदा में कुछ भी स्पष्ट नहीं है, ऐसे में बुनियादी बातों से जुड़े रहना काफी जरूरी है। उनके अनुसार क्रेडिट जोखिम स्थाई और बाजार जोखिम अस्थाई है। 2018 के अंत में क्रेडिट संकट पहली बार सामने आया था, इसलिए देखा गया कि बाजारों ने एक्सपोजर लेने के लिए बहुत सीमित प्रसिद्ध नामों को एक अलग प्राथमिकता दी है, जो पूंजी बाजार से पैसा जुटाने में सक्षम हैं। उन्होंने निवेशकों को सलाह दी है कि उच्च परिचालन जारीकर्ताओं पर दृष्टिगत परिचालन नकदी प्रवाह और मजबूत गियरिंग और तरलता अनुपात के साथ ध्यान केंद्रित किया जाए, क्योंकि उच्च क्रेडिट कॉरपोरेट्स में गतिविधि दूसरों की तुलना में सामान्य स्थिति को फिर से हासिल करेगी।



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