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37 साल में पहली बार माइनस लेवल पर गया अमरीकी तेल, जानिए क्या रही वजह

नई दिल्ली। किसी ने भी नहीं सोचा था कि क्रूड ऑयल के दाम माइनस में जाएंगे। वो भी अमरीकी ऑयल के दाम। जिसके प्रोडक्शन का इतिहास महज 37 साल पुराना है। ऐसा पहली बार हुआ है जब क्रूड ऑयल की कीमतें माइनस में चली गई हों। ताज्जुब की बात तो ये है कि जीरो से क्रूड ऑयल का दाम 37 डॉलर से ज्यादा टूटा। यह अब तक सबसे निचला स्तर है। जबकि 34 साल पहले 1986 में 10 डॉलर के साथ अमरीकी ऑयल ने अपना सबसे निचले स्तर को छुआ था। आखिर ऐसा क्यों हुआ? क्या इसकी वजह से कोरोना वायरस है? या फिर इसके पीछे कुछ और कारण भी बन रहे हैं, आइए आपको भी बताते हैं इन तमाम कारणों के बारे में। पहले उस एक्शन के बारे में जो कच्चे तेल की कीमतों में विदेशी बाजारों में देखने को मिला।

माइनस में गया कच्चा तेल
विदेशी बाजारों में कच्चे तेल को लेकर जबरदस्त एक्शन देखने को मिला। कीमतें धराशायी हो गई। मई अनुबंध का डब्ल्यूटीआई की कीमत पहले 0 डॉलर पर आई और उसके बाद -37 डॉलर पर तक पहुंच गईं। कल अमरीकी ऑयल में 300 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली। जो एक रिकॉर्ड है। अब तक कभी भी इस तरह की गिरावट देखने को नहीं मिली थी। जानकारों की मानें तो क्रूड ऑयल की कीमतों के गिरने की कई वजहें हैं। ऐसा पहली बार देखने को मिला है। वहीं 20 अप्रैल को मई अनुबंध भी खत्म हो गया है। अब कारोबार जून अनुबंध और बाकी अनबंधों में देखने को मिलेगा।

नहीं है ऑयल स्टोरेज करने की जगह
वास्तव में अमरीकी ऑयल में लगातार प्रोडक्शन और सप्लाई होने की वजह से स्टोरेज करने की जगह बिल्कुल भी नहीं बची है। जिसकी वजह से ऑयल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट के कारण पूरी अमरीकी ऑयल मार्केट क्रैश हो गई है। अमरीकी बाजारों में ऑयल को फ्री और डिस्काउंट के साथ ऑफर कर रहे हैं। यहां तक कि कैशबैक ऑफर भी किया जा रहा है। यही कारण हैं कि अमरीकी ऑयल की कीमतें माइनस में चली गई हैं।

अप्रैल में डिमांड में कमी की संभावना
दूसरी ओर इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की ओर से जारी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रूड ऑयल की डिमांड में 29 मीलियन बैरल प्रति दिन की गिरावट देखने को मिल सकती है। जिसका असर क्रूड ऑयल की कीमतों में देखने को मिल सकता है। वास्तव में पूरी दुनिया में क्रूड ऑयल की डिमांड काफी कम है। ऑयल स्पलाई काफी ज्यादा है। एजेंसी के अनुसार दुनिया में बड़े आयातकों की ओर से क्रूड ऑयल की डिमांड कम कर दी है। जिसका असर कीमतों में देखने को मिल रहा है। आने वाले दिनों में कीमतों में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है। वास्तव में कोरोना वायरस की वजह से ही पूरी दुनिया में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है। जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की डिमांड काफी नरमी बनी हुई है।

37 साल पहले शुरू हुआ था क्रूड ऑयल प्रोडक्शन
विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन 1983 में देखने को मिला था। जिसके बाद से लगातार जारी है। वहीं आखिरी बार क्रूड ऑयल की कीमतों में सबसे बड़ी गिरावट मार्च 1986 में देखने को मिली थी। तब भी ओवर सप्लाई की वजह से क्रूड ऑयल के दाम में 40 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। जिसकी वजह से दाम 8 डॉलर के आसपास आ गए थे। मौजूदा समय में डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की ओर से यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया गया है। आपको बता दें कि अब से चार महीने पहले डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल अपने उच्चतम स्तर पर था। जनवरी के महीने में डब्ल्यूटीआई के दाम 66 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा थे।

ब्रेंट क्रूड ऑयल में 6 फीसदी की गिरावट
वहीं दूसरी ओर ब्रेंट क्रूड ऑयल की बात करें तो मौजूदा समय में करीब 6 फीसदी की गिरावट के साथ 26.52 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। जानकारों की मानें तो ओपेक और नॉन ओपेक देशों के बीच करोड़ बैरल प्रति दिन के हिसाब से क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन कम करने की योजना पर एक बार फिर से विचार करने की जरुरत है। मौजूदा समय में जिस तरह की डिमांड देखने को मिल रही है, ओपेक और नॉक ओपेक देशों को और ज्यादा प्रोडक्शन कट करने की जरुरत है। अगर ऐसा नहीं किया तो आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल मार्केट की स्थिति और भी भयावह हो सकती है।

भारत में 33 फीसदी की देखने को मिली थी गिरावट
वहीं बात भारतीय वायदा बाजार की बात करें सोमवार को क्रूड ऑयल के दाम में भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे। आंकड़ों के अनुसार क्रूड ऑयल के दाम 33 फीसदी की गिरावट के साथ 963 रुपए प्रति बैरल पर पहुंच पर बंद हुआ है। जो कि अब तक का सबसे निचला स्तर है। अगर इसे लीटर के हिसाब से देखें तो क्रूड ऑयल का भाव 6 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर आ चुका है। आपको बता दें कि एक बैरल में 159 लीटर होता है।



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