Good News : भारतीयों की उम्र में 8 साल की बढ़ोतरी! 1990 की तुलना में अब 8 साल अधिक जिएंगे
1990 के मुकाबले अब लोग औसतन 6.2 साल ज्यादा जी रहे हैं
People are now living an average of 6.2 years longer than in 1990.
दुनिया भर में किए गए एक बड़े अध्ययन में पता चला है कि 1990 के मुकाबले अब लोग औसतन 6.2 साल ज्यादा जी रहे हैं! वहीं भारत की बात करें तो स्थिति और भी बेहतर है। 1990 के बाद से भारत में लोगों की औसत उम्र पूरे 8 साल बढ़ गई है।
भूटान में औसत उम्र 13.6 साल बढ़ी Average age in Bhutan increased by 13.6 years
हालांकि, दक्षिण-पूर्व एशिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में उम्र बढ़ने की रफ्तार थोड़ी कम है। इस क्षेत्र में भूटान ने सबसे बड़ी छलांग लगाई है। वहां के लोगों की औसत उम्र पूरे 13.6 साल बढ़ गई है, जो कि वैश्विक औसत से दोगुना से भी ज्यादा है। इसके बाद बांग्लादेश (13.3 साल की बढ़ोतरी) और नेपाल (10.4 साल की बढ़ोतरी) का स्थान आता है। वहीं पाकिस्तान में लोगों की औसत उम्र सिर्फ 2.5 साल ही बढ़ी है।
बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी आई Deaths due to diseases decreased
लोगों की मौतों में कमी का सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार है। बीते कुछ दशकों में बेहतर इलाज की वजह से दस्त, सांस में संक्रमण, कैंसर, स्ट्रोक और हृदय रोग जैसी आम बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी आई है।
बीमारियों के लिए नई वैक्सीन बनाने की भी आवश्यकता There is also a need to make new vaccines for diseases
अध्ययन के लेखक मोहसिन नगहवी बताते हैं, "हम पहले से ही जानते हैं कि बच्चों को डायरिया जैसी बीमारियों से कैसे बचाया जा सकता है। इस बीमारी से लड़ाई में काफी तरक्की हुई है। अब हमें इन बीमारियों की रोकथाम और इलाज पर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही टीकाकरण कार्यक्रमों को मजबूत बनाने और इकोली, नोरोवायरस और शिगेला जैसी बीमारियों के लिए नई वैक्सीन बनाने की भी आवश्यकता है।"
कोविड-19 महामारी ने घटाई लोगों की उम्र Covid-19 pandemic reduced people's lifespan
लेकिन अध्ययन ये भी कहता है कि अगर कोविड-19 महामारी (Covid-19 pandemic) नहीं आई होती तो लोगों की उम्र और भी ज्यादा बढ़ सकती थी। एक पहले के अध्ययन में बताया गया था कि महामारी ने दुनियाभर में लोगों की औसत उम्र लगभग दो साल घटा दी थी। साथ ही स्ट्रोक को पीछे छोड़कर दुनियाभर में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बना दिया था।
सार्वजनिक स्वास्थ्य के जटिल रास्तों पर चलते हुए ये अध्ययन दुनियाभर के लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने में अब तक हासिल की गई प्रगति और आने वाली चुनौतियों दोनों का प्रमाण है।
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