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शाकाहारियों और गुर्दे के मरीजों के लिए खुशखबरी: वैज्ञानिकों ने बनाईं खास सब्जियां

इटली के वैज्ञानिकों ने मूली और मटर में आयोडीन और पोटेशियम की मात्रा को अपनी जरूरत के हिसाब से बदलने में सफलता हासिल की है. इससे लोगों की खास डाइटरी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा. वैज्ञानिकों ने मिट्टी रहित खेती पद्धति का इस्तेमाल कर माइक्रोग्रीन उगाए हैं. इसमें मिट्टी की जगह तरल पदार्थ का इस्तेमाल होता है और पौधों को पोषक घोल दिया जाता है.

अभी तक आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए टेबल नमक में आयोडीन मिलाया जाता था. इसके अलावा, मछली, दूध और अंडे भी आयोडीन के स्रोत हैं. लेकिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रोजाना नमक कम खाने की सलाह दी है. साथ ही, शाकाहारी और लाहारी लोगों की संख्या बढ़ रही है. इसलिए, आयोडीन के नए स्रोतों की जरूरत है.

वैज्ञानिकों ने पौधों को उगाने के लिए खास पोषक घोल तैयार किए. इससे उन्होंने बिना किसी मिलावट के उगाए गए माइक्रोग्रीन से 14 गुना ज्यादा आयोडीन वाले पौधे उगाए. इससे आयोडीन का नया स्रोत मिल गया.

गुर्दे की बीमारी वाले लोगों के लिए पोटेशियम कम करने वाले माइक्रोग्रीन भी उगाए गए. ऐसे मरीजों को कम पोटेशियम लेना होता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि सब्जियों में पोटेशियम ज्यादा होता है. इसलिए, गुर्दे की बीमारी वाले लोगों को कई बार सब्जियां नहीं खाने की सलाह दी जाती है. लेकिन, सब्जियों को पानी में भिगोने या उबालने से पोटेशियम थोड़ा ही कम होता है. इससे जरूरी मिनरल्स और विटामिन भी नष्ट हो सकते हैं. इसीलिए, कम पोटेशियम वाली सब्जियां बहुत फायदेमंद होंगी.

यह अध्ययन दक्षिण इटली के एक असली माइक्रोग्रीन खेत पर किया गया था. इससे पता चलता है कि बड़े पैमाने पर खास जरूरत के हिसाब से माइक्रोग्रीन उगाना संभव है. अब वैज्ञानिक पौधों में खास तरह के तत्व बनाने के लिए उनके जैविक मार्ग को बदलने पर शोध कर रहे हैं.



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