रोजाना एक कटोरा दही सही कर देता है मूड
ब्रेन, बिहेवियर और इम्यूनिटी जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन चिंता, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज के लिए नए उपचारों के बार संभावनाएं खोजता है। यह खोज उल्लेखनीय है क्योंकि यह लैक्टोबैसिलस की भूमिका को बताती है, जो इसे अन्य सभी सूक्ष्मजीवों से अलग करती है जो स्वाभाविक रूप से हमारे शरीर में और उसके ऊपर रहते हैं।
क्या कहते हैं रिसर्चर्स
रिसचर्स का कहना है कि हमारी खोज से पता चलता है कि आंत में रहने वाला लैक्टोबैसिलस प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करके मूड संबंधी विकारों को कैसे प्रभावित करता है। हमारा शोध चिंता और अवसाद के लिए बहुत आवश्यक उपचारों की खोज का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
चूहों पर किया शोध
टीम ने विशेष रूप से लैक्टोबैसिली पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाया। गॉल्टियर की प्रयोगशाला के पूर्व शोध से पता चला है कि बैक्टीरिया प्रयोगशाला के चूहों में अवसाद को दूर कर सकता है। इस संबंध में पूर्व अध्ययन भी हो चुके हैं, जिसमें भी लैक्टोबैसिली को फायदों को खोजा गया था।
ऐसे निकला परिणाम
परिणाम स्पष्ट रूप से बताते हैं कि लैक्टोबैसिली व्यवहार को कैसे प्रभावित करता है, और बैक्टीरिया की कमी कैसे अवसाद और चिंता को बढ़ा सकती है। लैक्टोबैसिलैसिया परिवार में लैक्टोबैसिली इंटरफेरॉन गामा नामक एक प्रतिरक्षा मध्यस्थ के स्तर को बनाए रखता है जो तनाव के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है और अवसाद को दूर करने में मदद करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब हम यह पता लगा सकते हैं कि चिंता और अवसाद को रोकने और इलाज के लिए लैक्टोबैसिलस के स्वस्थ स्तर को कैसे बनाए रखा जा सकता है।
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