मन को स्वस्थ रखना प्राथमिकता में करें शामिल, सेहत को मिलेंगे गजब के फायदे
वल्र्ड फेडरेशन ऑफ मेंटल हैल्थ की कुछ वर्ष पूर्व रही थीम, मानसिक स्वास्थ्य नहीं तो कोई स्वास्थ्य नहीं। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि स्वास्थ्य का अर्थ मनुष्य की शारीरिक, मानसिक व सामाजिक खुशहाली है। यहां शरीर व समाज के बीच मानस (माइंड) को रखा गया है। मन से ही हम मनुष्य हैं। मन, मस्तिष्क की क्रियाशीलता का नाम है।
तीन शब्दों से समझें मानसिक सेहत
मानसिक स्वास्थ्य को समझने के लिए एक सरल सूत्र है। काम, खेल और प्रेम। यानी यदि आप काम कर सकते हैं, खेल सकते हैं और प्रेम कर सकते हैं तो आप मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। यह वाक्य देखने में बड़ा सरल लगता है, मगर है नहीं। अब इसकी थोड़ी व्याख्या।
काम करते हैं तो...
हमें जीवन जीने के लिए बहुत से काम करने पड़ते हैं। अपनी देखभाल और जीविकोपार्जन से लेकर पारिवारिक और सामाजिक दायित्व के निर्वहन तक। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की पहचान है कि वह अपने, परिवार और समाज के लिए वे सारे काम करने का प्रयास करें जो उचित और आवश्यक है। इसे नियमित करना भी मानसिक सेहत की शर्त है।
कहने को प्रेम रोग है, असल में इलाज है
प्रेम जिसे मुहावरेदारी के चक्कर में लोग रोग से जोड़ते हैं, बड़ा व्यापक अर्थों वाला शब्द है। दो अलग-अलग जेंडर के लोगों के बीच होने वाला प्रेम, प्रेम के विराट संसार का एक सदस्य भर है। प्रेम में क्या नहीं शामिल? इसमें स्वयं से लेकर हर प्राणी तक से प्रेम शामिल है। इसमें पूरे विश्व के पेड़-पौधे-जीव सभी आ सकते हैं।
खेल यानी आनंद का स्रोत
यहां आप खेल को प्रचलित अर्थ से देखेंगे तो बहुत कम हाथ आएगा। खेल को आनंद के स्रोत से जोड़ें। अंग्रेजी में सारे वाद्ययंत्रों को बजाने के लिए एक ही क्रिया है- प्ले। अपने देश में नाटक, होली और पटाखे छोडऩा भी खेल ही है।
मानसिक रूप से स्वस्थ कैसे रहें
मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए इन तीनों यानी काम, खेल और प्रेम से नियमित जुड़े रहना जरूरी है। काम से आप उपयोगी व आत्मनिर्भर बनते हैं। खेल से तन-मन सेहतमंद रहेगा। करुणा, दया, ममता, क्षमा जैसे भाव भी प्रेम के मुख्य अंग हैं। केवल देह से प्रेम नहीं। मानसिक स्वास्थ्य की बुनियादी शर्त है अहिंसक प्रेम।
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