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बच्चों की तरह खाइए...सप्ताह भर में कम होगा वेट

बच्चों का खाना खाने का तरीका बड़ों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। वाकई में बच्चे का खाने का तरीका आप में हेल्दी फूड हैबिट्स विकसित कर सकता है। यहां हम आपको बच्चों की तरह छोटे चम्मच या फिर छोटे जार में खाना खाने के लिए नहीं कह रहे हैं, बल्कि उनकी फूड हैबिट्स पर गौर करने पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि बच्चों की कुछ आदतें आपके लिए फायदेमंद होती हैै।

धीरे—धीरे और चबाकर खाना
छोटे—छोटे बाइट खाना और उसे खूब देर तक चबाना हेल्थ के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद होता हैै। खाने को धीरे—धीरे खाना अधिक खाने से निजात दिलाता है। शोधकर्ताओं का अध्ययन बताता है कि धीरे—धीरे खाने में कम कैलोरी गेन करते हैं और भूख भी शांत होती है।

नई चीजें खाना सीखना
बच्चे नई—नई चीजें खाने की कोशिश करते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि खाने में वैरायटी से शरीर में सभी तरह के न्यूट्रिशंस, एंटीआॅक्सिटेंड और विटामिन मिल जाते हैं। खाने से बोरियत भी नहीं होती। एक स्टडी के अनुसार विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थ खाने से डायबिटीज का खतरा कम रहता है। ऐसे में बड़ों को भी बच्चों की तरह विभिन्न तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। विभिन्न तरह की रैसेपीस के साथ एक्सपेरिमेंट करने चाहिए।

जिस खाने को न देखा है और ना चखा है, उसे भी एंजॉय करना
अक्सर हम नए खाने के प्रति एक बार में तैयार नहीं होते, लेकिन बच्चे नई चीज की और आकर्षित होते हैं। साथ ही उसके टेस्ट को एंजॉय भी करते हैं। खासकर आॅर्गेनिक फूड, जिसे आप भी पसंद कर सकते हैं। जिस तरह वह नट्स और फ्रूट्स खाते हैं, उसी तरह आप भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह भी आपकी हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होगा।

पेट भरने के बाद बिल्कुल भी नहीं खाना
बच्चों की सबसे अच्छी आदत होती है, जब उनका पेट भर जाता है, तो एक बाइट भी नहीं खा सकते। फिर भले ही आप कितनी कोशिश कर लें, बच्चा खाने को फेंक भी देता है। लेकिन बड़े पेट भरने के बाद मन नहीं भरा, तो भी खाते रहते हैं। इस तरह की ओवर ईटिंग उन्हें भारी पड़ती है। ऐसे में जब भूख हो तो ही खाइए, बिना भूख के नहीं खाइए। बच्चों के खाने का समय तयहोता है, लेकिन आपके खाने का समय आगे पीछे होता रहता है, यह भी स्वास्थय के लिए सही नहीं है।

खाने को लेकर उत्साहित
बच्चे खाने को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित होते हैं,वे मजे लेकर खाते हैं। खाने को ही नहीं,वे तो खाने से भरी टेबल देखकर ही आनन्दित हो जाते हैं,लेकिन बड़ों के साथ ऐसा नहीं होता। वे खाने को लेकर बहुत कम उत्साहित होते हैं, वे खाने को दिनचर्या मानते हैं। बहुत कम लोग ही स्वाद का आनन्द लेते हैं। एक्सपट्र्स मानते हैं कि बिना मन से खाया गया खाना ज्यादा फायदा नहीं करता।

डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।



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