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परकरडयम इफकशन : दल क सरकष कवच ह परकरडयम जनए लकषण और इलज

Pericardium infection : दो परतों वाली एक पतली थैली ‘पेरिकार्डियम’ हृदय को बाहर से घेरे रहती है। इसमें सूजन या संक्रमण से सीने में दर्द की शिकायत हो सकती है। पेरिकार्डियम में इंफेक्शन से हृदय की सुरक्षा पर खतरे की आशंका रहती है।

पेरिकार्डियम (Pericardium) में सूजन और इंफेक्शन से पेरिकार्डिटिस होता है। इसमें साधारण स्थिति में 50 मि.ली. तरल पदार्थ मौजूद होता है। लेकिन पेरिकार्डिटिस होने पर थैली में अतिरिक्त तरल पदार्थ बनने लगता है। यह स्थिति दिल के लिए गंभीर श्रेणी की हो सकती है। जानते हैं इस बीमारी के प्रमुख कारणों व उपचार के बारे में।

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वजह : टीबी, वायरल इंफेक्शन, बचपन में हुआ रुमेटिक फीवर, थायरॉइड जैसी समस्याओं के कारण पेरिकार्डिटिस होता है। कभी-कभी इसके कारणों को नहीं पहचाना जा सकता ऐसी स्थिति को इडियोपेथिक पेरिकार्डिटिस ( idiopathic pericarditis) कहते हैं।

इन्हें है खतरा : बच्चों, कमजोर प्रतिरक्षण क्षमता वाले व्यक्तियों और हृदय रोगियों को।

लक्षण : सीने में काफी तेज व चुभन जैसा दर्द जो हार्ट की पपिंग के दौरान पेरिकार्डियम की दोनों परतों में घर्षण से पैदा होता है। यह दर्द लेटे रहने से ज्यादा होता है व बैठने और आगे झुकने से थोड़ा कम होता है। सांस में तकलीफ व कफ भी इसके लक्षण होते हैं।

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जांच : डॉक्टर जब स्टेथोस्कोप से दिल की जांच करते हैं तब उन्हें एक आवाज सुनाई पड़ती है जिसे पेरिकार्डियल रब कहते हैं। इससे पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) का पता चल पाता है। सीने में दर्द और पेरिकार्डियल रब सुनाई देने व रोगी की फैमिली हिस्ट्री से पेरिकार्डिटिस की पुष्टि हो जाती है। ईसीजी और इकोकार्डियोग्राम से इसकी आगे की जांच में मदद मिलती है। ईको के दौरान यह पता चलता है कि पेरिकार्डियल थैली में कितना तरल पदार्थ जमा हुआ है। अगर यह गंभीर स्थिति में है तो एक सुई घुसाकर इसे बाहर निकालना पड़ता है।

इलाज : अगर यह वायरल इंफेक्शन के कारण होता है तो कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक चलने वाले इलाज की जरूरत पड़ती है। अगर रोग टीबी के कारण होता है तो एंटी-ट्यूबरक्युलर दवाओं से लंबे समय तक चलने वाले इलाज की जरूरत होती है। कुछ मामलों में पेरिकार्डिटिस (Pericarditis) के बार-बार होने पर, लंबे समय तक इलाज चलता है।

डॉक्टरी राय : यह रोग अधिकतर वायरल या टीबी से होता है। इसे रोकने के सटीक तरीके उपलब्ध नहीं है इसलिए कमजोर प्रतिरक्षण क्षमता वाले लोगों को इंफेक्शन से बचने के लिए पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।

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Possible even with heart surgery हार्ट के ऑपरेशन से भी संभव

यह स्थिति कई प्रक्रियाओं से उत्पन्न हो सकती है। सबसे आम वायरल इन्फेक्शन होता है। वहीं हार्ट के ऑपरेशन से भी यह तकलीफ होने की आशंका रहती है। ऑटो इम्यून बिमारियां जैसे एसएलई (टिश्यू डैमेज) पेरिकार्डिटिस को बढ़ावा देती हैं।

keep an eye on kidney किडनी पर नजर जरूरी
अधिकतर मामलों में पेरिकार्डिटिस का केवल लक्षण आधारित इलाज ही होता है। सीने में दर्द जैसे लक्षण के लिए नॉन स्टिरॉइडल एंटी-इन्फ्लेमेट्री दवाओं और पेन किलर की जरूरत होती है। जब दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं तो उस दौरान रोगी के किडनी फंक्शन पर भी नजर रखी जाती है क्योंकि ये दवाएं किडनी को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं।

डॉ. संतोष कुमार डोरा,

कार्डियेक इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट



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