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Sugar Lowering Flower : डायबिटीज का रामबाण इलाज है ये फूल, तेजी Blood Sugar को कर देता है कम

डायबिटीज में ब्लड शुगर को मेंटेन रखना मुश्किल नहीं होगा अगर आप लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले फूड्स को डाइट में शामिल करें। यहां जिस फूल के बारे में आपको बताने जा रहे वह भी डायबिटीज रोगियों के लिए रामबाण दवा की तरह काम करता है।

ये फूल है केले का। जी हां, केले के फूल में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। हाई फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट से भरा ये फूल डायबिटीज रोगियों के लिए वरदान है। यही नहीं, अगर डायबिटीज रोगी कच्चे केले की सब्जी भी खाएं तो भी उनके लिए ये बहुत ही फायदेमंद होगी।

यदि आप टाइप 2 डायबिटीज के मरीज हैं तो आपको केले के फूल का रोज सेवन करना चाहिए। बैंगनी रंग के इस फूल की सब्जी बनाई जाती है और ये ब्लड शुगर को रेगुलेट करता है।

केले के फूल के पोषक तत्व
केले के फूलों में कई पोषक तत्व होते हैं, जिनमें एंटीऑक्सिडेंट, मिनरल्स और प्रोटीन शामिल हैं। 100 ग्राम केले के फूल में बहुत कम कैलोरी होती है। इसमें करीब 23 कैलोरी, 4 ग्राम कार्ब्स,1.5 ग्राम प्रोटीन होता है। साथ ही पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक और कॉपर भी खूब होता है।

ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए हमेशा फाइबर वाली चीजें लें
इनमें कैलोरी की मात्र कम होती है जबकि फाइबर की मात्रा अधिक होती है। घुलनशील फाइबर शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल कम करने जबकि अघुलनशील फाइबर कब्ज और अन्य पाचन समस्याओं को रोकने में मदद कर सकता है।

केले की तुलना में नैचुरल शुगर भी कम
केले के फूल सभी आवश्यक अमीनो एसिड से भरे होते हैं। इसमें नैचुरल शुगर कम होती है, जिस वजह से यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प है।

कोलेस्ट्रॉल कम करने में कारगर
केले के फूल में ऐसे कई यौगिक होते हैं, जो हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। केले के फूल में पाए जाने वाले 'क्वेरसेटिन' और 'कैटेचिन' जैसे एंटीऑक्सिडेंट ब्लड में कोलेस्ट्रॉल बनने से रोकते हैं। साथ ही ये खाई चीजों को तुरंत शुगर में तब्दील नहीं होने देते। ये एंटीऑक्सिडेंट कार्ब्स को अवशोषित करने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करके काम कर सकते हैं।

आंतों को बनाता है स्वस्थ और मजबूत
घुलनशील और अघुलनशील फाइबर से भरपूर केले का फूल पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि फाइबर का सेवन आंत माइक्रोबायोम में सुधार कर सकता है जिससे पेट के कैंसर का जोखिम कम हो सकता है। फाइबर पेट में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाने में मदद करने के लिए एक प्रीबायोटिक के रूप में भी काम करता है।

डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करते हैं। इन्हें आजमाने से पहले किसी विशेषज्ञ अथवा चिकित्सक से सलाह जरूर लें। 'पत्रिका' इसके लिए उत्तरदायी नहीं है।



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