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थकान और मसल्स वीकनेस के साथ दिखने लगे ये संकेत, तो समझ लें शरीर मे बढ़ गया है विटामिन डी का स्तर

शरीर में विटामिन या मिनिरल का कम होना ही नहीं, बढ़ना भी हानिकारक होता है। कई बार कुछ विटामिन्स की अधिकता और कमी के संकेत भी लगभग एक जैसे होते हैं। विटामिन डी इनमें से एक है, जिसकी कमी और अधिकता दोनों ही शुरुआत में एक जैसे संकेत देती हैं, हालांकि विटामिन डी की अधिकता आपकी किडनी को फेल तक कर सकता है। इसलिए विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने वाले लोगों को अपने शरीर में इसका स्तर चेक कराते रहना जरूरी है।

विटामिन डी की कमी हडि्डयों की कमजोरी, फ्लू, दिल की बीमारी , मोटापे और डिप्रेशन तक का कारण बनती है। वहीं इसकी अधिकता से क्या नुकसान हो सकते हैं, चलिए जानें।

क्या होती है विटामिन डी टॉक्सिसिटी -What is Toxicity of vitamin D?
विटामिन डी का मेन सोर्स सनलाइट है। विटामिन डी फैट-सॉल्यूबल विटामिन है। विटामिन डी के साथ मिलकर कैल्शियम शरीर में एब्जॉर्ब होता है। लेकिन जब विटामिन डी शरीर में अधिक होने लगता है तो ये विटामिन डी टॉक्सिन (Vitamin D Toxicity) कहलाता है। यह विषाक्तता तब होती है, जब रक्त का स्तर 150 मिलीग्राम/एमएल से ऊपर हो जाता है, क्योंकि विटामिन शरीर में वसा में संग्रहित होता है और धीरे-धीरे रक्तप्रवाह में छोड़ा जाता है, लेकिन अधिकता से ये विटामिन ब्लड में तेजी से बढ़ने लगता है। विटामिन डी टॉक्सिसिटी उन लोगों को हो सकता है, जो बिना अपने ब्लड लेवल को मॉनिटर किए ही, लंबे समय तक विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेते रहते हैं।

विटामिन-डी का ज़रूरत से ज़्यादा सेवन क्यों है ख़तरनाक?- Why is excessive intake of Vitamin D dangerous?
खून में कैल्शियम ख़तरनाक स्तर पर पहुंच जाना: जब शरीर में ब्लड कैल्शियम का स्तर ख़तरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, तो इस स्थिति को हाइपरकैल्सीमिया कहते हैं, जो ज़्यादा विटामिन-डी और कैल्सियम की अधिकता से होता है।

विटामिन डी के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान - Side Effects of too much intake of Vitamin D

उल्टी या कब्ज का होना- विटामिन डी की अधिकता के शुरुआती लक्षण में उल्टी और कब्ज का होना हो सकता है। विटामिन डी सप्लीमेंट्स या इससे भरपूर फूड्स का सेवन अधिक मात्रा में करने से आपको उल्टी, जी मिचलाना जैसी समस्याएं शुरू हो सकती है। खून में कैल्शियम के उच्च स्तर के कारण व्यक्ति को उल्टी और मतली का अनुभव होता है। वहीं कैल्शियम की अधिकता से कब्ज की समस्या भी हो सकती है।

स्टोन का बढ़ता है खतरा- जब भी शरीर में कैलशियम और विटामिन डी अधिक होगा स्टोन बनने की समस्या बढ़ सकती है। किडनी से लेकर गॉल ब्लैडर तक में स्टोन हो सकते हैं।

हड्डियां कमजोर होना- विटामिन डी की अधिकता से हडि्डयां मजबूत होने की बजाय कमजोर होने लगेंगे। विटामिन डी कैल्शियम को चयापचय करने में मदद करता है, जो स्वस्थ हड्डियों के लिए आवश्यक है, लेकिन शरीर में बहुत अधिक विटामिन डी रक्त में विटामिन के2 के निम्न स्तर का कारण बन सकता है। विटामिन K2 स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने में एक प्रमुख भूमिका निभाता है, इसलिए सामान्य मात्रा में विटामिन डी पूरक लेना महत्वपूर्ण है।

किडनी हो सकती है फेल-किडनी शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। विटामिन डी का ओवरडोज किडनी के कार्यों को प्रभावित करता है। अधिक विटामिन डी के सेवन से किडनी फेल भी हो सकते हैं।

पेट दर्द और डायरिया- विटामिन डी की अधिकता से कब्ज ही नहीं, पेट दर्द और डायरिया तक हो सकता है। ये तीनों ही समस्याएं पाचन संबंधी होती हैं, जो अक्सर फूड इन्टॉलरेंस या इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम से जुड़ी होती हैं। ये समस्याएं हाई ब्लड कैल्शियम लेवल के कारण भी हो सकती हैं।

ब्लड में कैल्शियम की अधिकता-विटामिन डी के अत्यधिक सेवन से शरीर में कैल्शियम की मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे ऊतकों और त्वचा पर कैल्शियम का जमाव होने लगता है। यह हड्डियों को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है, इसलिए रक्त में कैल्शियम की अधिक मात्रा होने से हाई ब्लड प्रेशर, हड्डियों का कमजोर होना, किडनी डैमेज, थकान, चक्कर आना आदि समस्याएं शुरू हो सकती हैं।

सूजन, थकान, मसल्स क्रैंप- शरीर और पैरों में सूजन के अलावा थकान, कमजोरी और मसल्स या पैरों में दर्द का कारण भी विटामिन डी की अधिकता हो सकती है।

Vitamin D की सही मात्रा- Correct amount of Vitamin D
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) का कहना है कि भारतीयों के लिए 400 आईयू / दिन विटामिन डी का सेवन करना सही है। वहीं, अमेरिकन्स के लिए प्रतिदिन 600 आईयू विटामिन डी की मात्रा सही है।

बच्चों के लिए सही मात्रा-बच्चों में भी विटामिन डी की कमी पाई जाती है। ऐसे में एक साल से कम उम्र के बच्चों को रोजाना 8.5 से 10 माइक्रोग्राम तक विटामिन डी दिया जा सकता है।

डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।



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