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जानिए बच्चे किन कारणों से हो सकते हैं एड्स के शिकार और क्या है बचाव के उपाय

नई दिल्ली : एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस के संक्रमण में आने से होता है। हाल ही में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम करने वाली वैश्विक संस्था यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट जारी कर बच्चों में एड्स की समस्या को लेकर बड़ा खुलासा किया है। यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2020 में कम से कम 3 लाख बच्चे दुनियाभर में एचआईवी से संक्रमित हुए है। इस रिपोर्ट के मुताबिक हर 2 मिनट में एक बच्चा एचआईवी की चपेट में आया है। इसी साल में लगभग 120,000 बच्चों की एड्स से जुड़ी समस्या के कारण मौत भी हुई है, यानी हर 5 मिनट में एक बच्चे की मौत एड्स से जुड़े कारणों की वजह से हुई है। बच्चों में तेजी से एड्स की समस्या का बढ़ना एक गंभीर विषय है। आइये जानते हैं बच्चों में एचआईवी एड्स के कारण लक्षण और बचाव के बारे में।

बच्चों में एड्स के कारण

यूनिसेफ द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में एड्स से ग्रसित बच्चों में 5 में से 2 बच्चों को इस बात की जानकारी ही नहीं होती है कि उनमें एड्स की समस्या है। इसके अलावा एचआईवी से प्रभावित कुल बच्चों में से आधे बच्चों को एंटीरेट्रोवायरल उपचार एआरटी भी नहीं मिल पाता है। एचआईवी एड्स के प्रति जागरूकता की कमी, माता-पिता द्वारा इस बीमारी को लेकर लापरवाही बरतने के कारण बच्चों में एड्स की समस्या तेजी से बढ़ रही है। कई बच्चों में तो एड्स की बीमारी जन्मजात ही होती है। ज्यादातर बच्चों में एचआईवी एड्स की समस्या जन्मजात होती है। माता-पिता में से किसी एक के एड्स से प्रभावित होने की स्थिति में बच्चों में यह बीमारी हो सकती है। एचआईवी संक्रमण को एड्स का रूप लेने में लगभग 7 से 8 साल लगते हैं। बच्चों में एड्स की बीमारी होने के ये प्रमुख कारण हो सकते हैं।

1. बच्चों में जन्म से एड्स की समस्या।
2. गर्भावस्था के दौरान एचआईवी संक्रमण।
3. प्रसव के दौरान बच्चे का एचआईवी के संपर्क में आना।
4. स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) करते समय।
5. एचआईवी युक्त ब्लड के संपर्क में आने से।
6. संक्रमित सुई, सिरिंज आदि के इस्तेमाल से।

बच्चों में एचआईवी एड्स के लक्षण

1. बच्चों में शारीरिक शक्ति की कमी।
2. बच्चों का विकास धीरे से होना।
3. बच्चों को रात में पसीना आना।
4. लगातार बुखार होना।
5. लगातार दस्त की समस्या।
6. लिम्फ नोड्स का बढना।
7. वजन कम होना।
8. स्किन पर लाल रंग के चकत्ते।
9. मुहं में छालों का होना।
10. फेफड़ों में इन्फेक्शन।
11. किडनी से जुड़ी समस्याएं

बच्चों में एचआईवी एड्स का इलाज और बचाव
एचआईवी एड्स की समस्या का कोई भी स्थायी इलाज नहीं है। इस बीमारी का मेडिकल मैनेजमेंट के जरिए इलाज किया जाता है। सही ढंग से इस बीमारी का इलाज और प्रबंधन करने से आप इस बीमारी को कंट्रोल कर सकते हैं। बच्चों में एचआईवी एड्स की समस्या होने पर एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कुछ एचआईवी रोधी दवाएं भी इस बीमारी को रोकने में फायदेमंद मानी जाती हैं। बच्चों में एचआईवी से बचाव के लिए माता-पिता को इस बीमारी के प्रति सचेत रहना चाहिए। ज्यादातर बच्चों में यह समस्या माता-पिता से ही होती है इसलिए हर मां-बाप को इससे जुड़े जोखिम कारकों का ध्यान रखना चाहिए।



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