Header Ads

जानिए बच्चों के काली खांसी का कारण और उसका घरेलू इलाज

नई दिल्ली एक्सपर्ट कहते हैं कि काली खांसी सीधे तौर पर श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है और उसमें संक्रमण उत्पन्न कर सकती है। यह खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक बैक्टीरिया द्वारा उत्पन्न होती है और यह एक बच्चे से दूसरे बच्चे में बड़ी तेजी से फैल जाती है | हवा में संक्रमित बच्चे के थूक की बूंदें होना इस खांसी के संक्रमण फैलने का मुख्य स्रोत होता है। बच्चों में यह काली खांसी अधिक देखने को मिलती है। यह खांसी भी शुरुआत में सामान्य खांसी जैसी होती है और ऐसा लग सकता है कि आपके बच्चे को ठंड लग गई है। लेकिन धीरे धीरे इसकी गंभीरता बढ़ती ही जाती है और सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। अगर बच्चे को समय से उपचार दिया जाए तो इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है।अगर आपका बच्चा रात भर जोर-जोर से खांसता है तो इसे नजरअंदाज न करें। हो सकता है ये काली खांसी हो। जानें इसके कारण लक्षण और इलाज।

काली खांसी के लक्षण
यह पहली स्टेज होती है और बच्चे को इसमें वही लक्षण देखने को मिलेंगे जो सामान्य कोल्ड होने पर दिखते हैं। यह स्टेज एक से दो हफ्ते तक रह सकती है। इसमें नाक बहना हल्का बुखार आना थोड़ी थोड़ी खांसी आना थोड़ी बहुत सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण दिख सकते हैं।

बच्चों में काली खांसी के कारण
यह इंफेक्शन बैक्टीरिया के द्वारा होती है और उस बैक्टीरिया का नाम है बोर्डेटेला पर्टुसिस बैक्टीरिया। अगर कोई बच्चा पहले से ही संक्रमित है और आप उसका झूठा खा लेते हैं या फिर वह आपके आसपास खांसता या छींकता है तो उसकी बूंदों के कारण आप भी संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे ही यह संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ होता और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है वह इससे संक्रमित होने के अधिक रिस्क में होते हैं।

काली खांसी का उपचार
अगर शुरू की ही स्टेज में बच्चे को एंटीबायोटिक दे दी जाए तो उसका इंफेक्शन नियंत्रण में आ सकता है और उसे खांसी से भी काफी राहत मिल सकती है। एंटीबायोटिक का सेवन संक्रमित बच्चे की देखभाल करने वाला व्यक्ति भी कर सकता है। घर पर ही बच्चे की संभाल करें बच्चे को केवल उसी कमरे में रखें जिसमें अच्छे से हवा और रोशनी आ रही हो। उन्हें डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाइयां समय से दे। अपने घर में कम से कम धूल मिट्टी और किसी चीज का धुआं आदि आने दें। इसके साथ ही उसे खांसते और छींकते समय मुंह को ढांकना सिखाए।

यह स्थिति आसानी से ठीक की जा सकती है लेकिन इसके लिए आप को बच्चे की घर पर अधिक से अधिक संभाल करनी होगी। उसे दवाइयां देने के साथ साथ उसे खुब सारी सब्जियां और फलों वाली डाइट भी दें। ताकि उसका शरीर रिकवर जल्दी से जल्दी हो सके।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3FdPxsL

No comments

Powered by Blogger.