गर्भावधि मधुमेह क्या है और गर्भावधि मधुमेह के लक्षण क्या हैं
नई दिल्ली। बच्चे और माता दोनों की सेहत पर ही जेस्टेशनल डायबिटीज का बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इस बीमारी के कारण ही शरीर में ब्लड प्रेशर का खतरा दो गुना हो सकता है। गर्भविधि डायबिटीज में होने से प्रीमैच्योर बर्थ होने का खतरा रहता है साथ ही साथ बच्चे का ब्लड प्रेशर भी लो होने का खतरा बना रहता है।
सबसे पहले जानिए कि गर्भावधि मधुमेह क्या है
गर्भावधि मधुमेह ये एक प्रकार का ऐसा डायबिटीज है जो गर्भावाश्ता के दौरान महिलाओं को हो सकता है। डायबिटीज एक ऐसी स्थिति होती है जहां पर शरीर में खून में ग्लूकोज यानी शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाती है।
ज्यादातर खून में ग्लूकोज की मात्रा इन्सुलिन नामक एक हार्मोन द्वारा ही नियंत्रित होती है। पर प्रेगनेंसी के दौरान, कुछ औरतों के ब्लड के ग्लूकोज का स्तर आम से ज्यादा हो जाता है। और उनका शरीर उन सभी कोशिकाओं में ब्लड पहुंचाने के लिए सही मात्रा में इन्सुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इसका ये मतलब होता है कि शरीर में ग्लूकोज का स्तर तेजी से बढ़ जाता है।
अब जानिए इन गर्भावधि मधुमेह के लक्षणों के बारे में
- सही से न देख पाना, धुंधला दिखाई देना
- थकान का महसूस होते रहना
- मुहं का सूख जाना
- जरूरत से ज्यादा प्यास लगना
जानिए कि गर्भाकालीन डायबिटीज का कारण क्या हो सकता है
डायबिटीज एक ऐसी बीमारी होती है जहां खून में ग्लूकोज यानी चीनी की मात्रा ज्यादा हो जाती है।
डायबिटीज या अपर्याप्त इन्सुलिन के उत्पादन के कारण हो सकता है, या तो बॉडी में इन्सुलिन का प्रतिरोधी बनता जाता है। जिसका सिर्फ यही मतलब है कि इन्सुलिन सही से काम नहीं करता है।
आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा इन्सुलिन नाम के एक हार्मोन द्वारा नियंत्रित्र होती है, जो कि अग्न्याशय द्वारा निर्मित होती है।
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