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Benefits of Kapalbhati: जानिए कपालभाति कितने फायदेमंद होता हैं; यह बीमारियों से हमें कैसे बचाता हैं

नई दिल्ली। Benefits of Kapalbhati: सुबह सुबह केवल 5 मिनट कपालभाति करने से कई बीमारियां दूर हो जाती है। इसे करने से ब्लड सर्कुलेशन तो अच्छा होता ही है साथ ही दिमाग भी शांत रहता है। जब आप कपालभाति करते हैं तो आपके शरीर से 80% विषैले तत्व बाहर जाती है। सांस के साथ निकल जाते हैं।

कपालभाति की उचित व्याख्या है "चमकने वाला मस्तक"। मस्तक पर तेज या चमक प्राप्त करना तभी संभव है जब प्रतिदिन इस प्राणायाम का अभ्यास करें। इसका तात्पर्य है कि आपका माथा सिर्फ बाहर से नहीं चमकता परंतु यह प्राणायाम आपकी बुद्धि को भी स्वच्छ बनाता है। आइए जानते हैं कपालभाति करने के तरीके और फायदे के बारे में।

कपालभाति करने का तरीका

  1. सबसे पहले किसी आरामदायक आसन पर बैठ जाएं।
  2. अब सिर और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें।
    आंखें बंद कर ले और पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें।
  3. अब दोनों नासिका छिद्रों से गहरी सांस लें और पेट की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए सांस छोड़े। लेकिन ध्यान रहे सांस छोड़ते समय अधिक जोर न लगाएं।
  4. अब फिर से जब सांस ले तो पेट की पेशियों पर बिना प्रयास लगाए सांस लें। सांस आराम से लें, इसमें किसी प्रकार का प्रयास न लगाएं।
  5. शुरुआत में दस बार सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया करें।
  6. इस चक्र को 3 से 5 बार दोहराएं।
  7. आसन का अभ्यास पूरा होने के बाद शांति का अनुभव करें।

कपालभाति के फायदे

  • रोजाना कपालभाति करने से लिवर और किडनी से जुड़ी समस्या ठीक होती है।
  • शरीर में ऊर्जा का स्तर बनाए रखने के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद है।
  • आपके शरीर की सभी नाड़ियों को शुद्ध करता है।
  • शरीर में रक्त परिसंचरण को सही करता है और इससे चेहरे पर चमक बढ़ती है।
  • यौन संबंधित विकारों को ठीक करता है।
  • गैस और एसिडिटी की समस्या में ये बहुत लाभदायक है।
  • कपालभाति करने से याददाश्त बढ़ती है और दिमाग भी तेजी से काम करता है।
  • मन को शांत करता है।
  • पाचन अंगों को उत्तेजित करता है जिससे पोषक तत्व शरीर में पूर्ण रूप से संचालित होते है।
  • आपकी पेट की चर्बी फलस्वरुप अपने आप कम हो जाती है।
  • यह चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाता है और वजन कम करने में मदद करता है।

कपालभाति करते समय कुछ सावधानी बरतें

  • यदि आसन करते समय दर्द या चक्कर जैसा महसूस हो तो आसन करना बंद कर दें और थोड़ी देर के लिए शांति से बैठ जाएं।
  • महिलाओं को यह प्राणायाम गर्भावस्था के दौरान अथवा उसके तुरंत बाद नहीं करना चाहिए। मासिक धर्म के दौरान भी यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
  • हाइपरटेंशन के मरीजों को यह प्राणायाम किसी योग प्रशिक्षण के नेतृत्व में ही करना चाहिए।
  • यदि आप हर्निया, मिर्गी, स्लिप डिस्क, कमर दर्द अथवा स्टेंट के मरीज हैं तो यह प्राणायाम न करें यदि आपकी कुछ समय पूर्व पेट की सर्जरी हुई है तब भी यह प्राणायाम न करें।


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