बुरे कर्म इस पशु की तरह करते हैं व्यवहार, खुशहाल जीवन का राज छिपा है चाणक्य के इस विचार में
विष्णु गुप्त और कौटिल्य के नाम से मशहूर आचार्य चाणक्य ने जीवन को सफलता पूर्वक जीने की कई नीतियां बनाई हैं। आचार्य चाणक्य की इन नीतियों को अगर मनुष्य अपने जीवन में उतार ले तो सफलता उसके कदम चूमेगी। चाणक्य ने जीवन की नीतियों के अलावा कुछ सर्वश्रेष्ठ विचार भी व्यक्त किए हैं। ये वो विचार हैं जो आज भी प्रासांगिक बने हुए हैं। आज हम चाणक्य के उन्हीं विचारों में से एक विचार का विश्लेषण करते हैं। साथ ही जानते हैं कि कैसे ये अनमोल विचार आपके जीवन को और भी खूबसूरत बनाने में मदद कर सकते हैं।
"जैसे एक बछड़ा हजारों गायों के झुंड मे अपनी मां के पीछे चलता है। उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।" आचार्य चाणक्य
आचार्य चाणक्य के अनमोल विचारों में से ये एक विचार मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों से जुड़ा हुआ है। अपने इस विचार को समझाने के लिए आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों को बछड़ा और गायों के झुंड से जोड़ा है। इस उदाहरण का मतलब सिर्फ इतना है कि किसी भी बच्चे का जन्म से सबसे पहले रिश्ता उसकी मां से ही जुड़ता है। जब तक बच्चा अपने फैसले ठीक से लेने और चलने-फिरने लायक नहीं हो जाता वो अपनी मां के पल्लू से बंधा रहता है। ठीक इसी प्रकार बछड़ा हजारों गायों को अपने आसपास मौजूद होने के बावजूद अपनी मां के पीछे ही चलने में खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
जैसे कि ये बछड़ा हजारों गायों का झुंड होने के बाद भी अपनी मां का पल्लू नहीं छोड़ता ठीक उसी तरह आपके अच्छे और बुरे कर्म जिंदगी भर पीछा नहीं छोड़ते। इसी वजह से कोई भी कर्म करने से पहले उसके दूरगामी परिणामों के बारे में सोचना बेहद जरूरी होता है।
अक्सर लोग जिंदगी में स्वार्थी होकर कुछ ऐसे फैसले करते हैं जो दूसरों के लिए कष्ट का कारण बन जाता है। उस वक्त तो स्वार्थ के वशीभूत होकर आप फैसला ले लेते हैं लेकिन उसका परिणाम आपको भुगतना अवश्य पड़ता है। इसलिए किसी भी फैसले को लेने से पहले उससे होने वाले परिणामों के बारे में जरूर सोचे। ऐसा करने पर आपका जीवन सुखमय बना रहेगा।
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