आध्यात्म की बदौलत कैसे खत्म हो सकता है कोरोना वायरस, जानिए यहां
कोरोना वायरस से पूरा देश परेशान है हर कोई इससे बचने के तरह-तरह के उपाय अपना रहे हैं। इससे निजात पाने के लिए सरकार के साथ-साथ डॉक्टर पूरा प्रयास कर रहे हैं कि जल्दी से जल्दी इस समस्या से निजात मिलें। इस संकट में हर किसी को अपने अंदर आस्था जगाने की बहुत ही ज्यादा जरुरत है। जिससे कि आपका आने वाला जीवन खुशी से बीते। इसी क्रम में इंडिया टीवी के खास शो सर्वधर्म सम्मेलन में कई धर्म गुरुओं ने बताया कि आखिर कैसे अध्यात्म द्वारा इसे खत्म किया जा सकता है।
स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि बिना धर्म के कोई भी कार्य संभव नहीं है। मनुष्य में धर्म होना उसका स्वभाव है। जहां तक हो शारीरिक और मानसिक पवित्रता जरूरी है। एक-दूसरे से स्पर्श ना हो। उससे हम कोरोना से बचाव कर सकते हैं। हमारे यहां पहले भी इस पर विचार किया जाता था। आज कोरोना ने सिद्ध कर दिया कि मनुष्य को एक-दूसरे से इतना स्पर्श नहीं करना चाहिए। ये मानवता का एक दर्शन है। लोगों की दशा को देखकर हृद्य द्रवित होता है तो ऐसे मार्गदर्शन करना पड़ता है। धर्म तो सभी के लिए कहता है कि सभी सुखी और निरोग रहें। ये हमारे यहां की परंपरा है। जो दुखियों को भोजन कराता है, ये बहुत बड़ा दान है, जो सभी को करना चाहिए। एक साल अभी कोरोना वायरस का असर रहेगा। धैर्य बनाए रखिए। घर में पूजा करना जरूरी है, लेकिन मंदिर में भी जाना हमारी प्राचीन पद्धति है और परंपरा है। हमें मंदिर जाना चाहिए, लेकिन दूरी बनाकर। जहां तक हो, दूसरों को मत छुएं। भगवान को प्रणाम करें। दर्शन करने वाले एक-दूसरे से दूरी बनाए रखें। इस प्रकार से मंदिर जा सकते हैं।
साध्वी ऋतंभरा ने कोरोना को लेकर कहा कि ऊपरवाले ने हमें संकट नहीं दिया है, बल्कि हमारी ही जिम्मेदारी है विपदाओं में जिम्मेदारी से रहना। ये प्रकृति माता ने हमें एक चपेट लगाई है। इंसानों ने जानवरों को भी पीछे छोड़ दिया है। अपने लालच में पशु पक्षियों को खा लिया। अगर हम अभी भी नहीं सुधरे तो इससे बड़ी आफत आएगी। अगर बबूल बोएंगे तो आम नहीं मिलेगा।आज हम जिस मोड़ पर खड़े हैं भोगी बन गए हैं। भोगी व्यक्ति को रोग देता है। कुदरत कर्म का फल देता है। विपत्ति जब आती है तो व्यक्ति भयभीत होता है। लेकिन भयभीत नहीं होना चाहिए।
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अनुसार कोरोना एक ऐसी विचित्र बीमारी है जिसका संक्रमण जजल्दी हो जाता है इसके लिए हमें मानसिक आराधना कर लेनी चाहिए। इसके साथ ही धैर्य के साथ रहें। धर्म को पालन करके अपने घरों में रहकर सही दिनचर्या अपनाएं। इसके साथ ही भागवत गीता का अभ्यास करना चाहिए। बेकार में बाहर घूमने से बचना चाहिए। जब हम धर्म की रक्षा करेंगे को वो हमारी रक्षा करेगा। आध्यात्मिक शक्ति ही आपको कोरोना सा बचाएगी। आहार शुद्ध लें इसके कोरोना नहीं होगा।
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