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हमारी आकाशगंगा में हैं कम से कम 36 सक्रिय सभ्यताएं, स्टडी में हुआ खुलासा

'दो खगोलशास्त्रीय कोपर्निकन सीमाएं 5 अरब से कम वर्षों में, या करीब 5 अरब वर्षों के बाद जीवन उत्पन्न करेंगी, ठीक पृथ्वी की तरह, जहां 4.5 अरब वर्षों के बाद एक संचार सभ्यता निर्मित हुई थी.'
हमारी आकाशगंगा में हैं कम से कम 36 सक्रिय सभ्यताएं, स्टडी में हुआ खुलासा

नई दिल्ली: द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में सोमवार को प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में कम से कम 36 सक्रिय, बुद्धिमान और संचार करने वाली सभ्यताएं हो सकती हैं. लेकिन समय और दूरी के कारण, हम ये कभी नहीं जान सकेंगे कि क्या वे कभी अस्तित्व में थीं.
वैज्ञानिकों ने ड्रेक समीकरण के आधार पर गणनाएं की हैं, जिसे 1961 में खगोलविद और खगोल वैज्ञानिक फ्रैंक ड्रेक ने लिखा था. 
लेखकों ने अपने अध्ययन में लिखा है कि- 'ड्रेक ने एक समीकरण विकसित किया, जिससे ये गणना की जा सके कि आकाशगंगा में कितने Communicating Extra-Terrestrial Intelligent (CETI) सभ्यताएं हो सकती हैं. हालांकि, इसकी कई परिभाषाओं के बारे में अभी ज्ञात नहीं है और सभ्यताओं की संभावित संख्या की गणना के लिए अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.'
इसलिए नॉटिंघम युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अपना दृष्टिकोण विकसित किया. सीएनएन को एक ईमेल में, नॉटिंघम विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी के एक प्रोफेसर और सह-लेखक क्रिस्टोफर कॉन्सलिस ने कहा- 'ड्रेक समीकरण के आधार पर हमारी और पूर्ण में की गई गणनाओं में महत्वपूर्ण अंतर यह है कि हम इस बारे में बहुत सरल धारणा बनाते हैं कि जीवन कैसे विकसित हुआ.'
उन्होंने कहा- 'उनमें से एक यह है कि जीवन वैज्ञानिक तरीके से बनता है- यानी अगर सही परिस्थितियां होंगी तो जीवन की उत्पत्ति होगी. इसमें वो कठिन सवाल नहीं हैं कि 'किसी तारे के रहने योग्य क्षेत्र में ग्रहों का कौन सा भाग जीवन का निर्माण करेगा?' और 'जीवन का कौन सा भाग बुद्धिमान जीवन में विकसित होगा?' इन सवालों के जवाब तब तक नहीं दिए जा सकते, जब तक कि हम वास्तव में जीवन का पता नहीं लगा लेते, और ये हमने अब तक नहीं किया है.'
इन वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में जीवन पर कमजोर और मजबूत सीमाएं स्थापित करने के लिए Astrobiological Copernican Principle विकसित किया. वैज्ञानिकों के अनुसार, इन समीकरणों से गैलैक्सी में तारों के निर्माण और उनकी उम्र का पता चलता है. इससे तारों की धातु सामग्री का भी पता चलता है और ये भी कि क्या खगोलीय पिंड (celestial body) पृथ्वी जैसे रहने योग्य ग्रह को पोषित कर सकते हैं.
नॉटिंघम विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग संकाय में एक सहायक प्रोफेसर, सह-लेखक टॉम वेस्टबी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि- 'दो खगोलशास्त्रीय कोपर्निकन सीमाएं 5 अरब से कम वर्षों में, या करीब 5 अरब वर्षों के बाद जीवन उत्पन्न करेंगी, ठीक पृथ्वी की तरह, जहां 4.5 अरब वर्षों के बाद एक संचार सभ्यता निर्मित हुई थी.'
'यह Astrobiological Copernican सिद्धांत कहा जाता है क्योंकि यह मानता है कि हमारा अस्तित्व विशेष नहीं है.यही वह स्थिति है कि गैलैक्सी में जिस तरह पृथ्वी पर बुद्धिमान जीवन विकसित हुआ तो इसी तरह कहीं और भी जीवन विकसित होगा.'
लेखकों ने ये भी कहा है कि इन 36 सभ्यताओं में से एक की औसत दूरी लगभग 17,000 प्रकाश वर्ष है, इसलिए वर्तमान में पता लगाना और संचार करना असंभव है.
यहां एक और जटिल सवाल ये है कि इन सभ्यताओं का जीवन कितना लंबा होता है. शोध का नेतृत्व करने वाले नॉटिंघम विश्वविद्यालय के एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर क्रिस्टोफर कन्सलिस ने कहा- 'अतिरिक्त-स्थलीय बुद्धिमान सभ्यताओं की खोज से न केवल यह पता चलता है कि जीवन कैसे बनता है, बल्कि ये यह भी बताते हैं कि हमारी सभ्यता कितने समय तक चलेगी.'
'यदि हमें पता चलता है कि ये बुद्धिमान जीवन आम है, तो इससे पता चलेगा कि हमारी सभ्यता कुछ सौ वर्षों से ज्यादा समय तक मौजूद रह सकती है. वैकल्पिक रूप से, अगर हम पाते हैं कि हमारी आकाशगंगा में कोई सक्रिय सभ्यताएं नहीं हैं, तो यह हमारे दीर्घकालिक अस्तित्व के लिए एक बुरा संकेत है.'
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