महज 16 साल की उम्र में साध्वी ऋतंभरा को प्राप्त हुआ था निर्वाण, कोरोना के प्रकोप पर कहा- जिंदगी की विचित्रता है...
इस समय पूरा देश कोरोना वायरस से जूझ रहा है। इस संकट की घड़ी में आस्था जगाने और जीवन को अनवरत आगे बढ़ाने के प्रयास में इंडिया टीवी कई धर्मों के महागुरुओं के साथ 'सर्वधर्म सम्मेलन' कर रहा है। इस महाआयोजन में 20 महागुरुओं की संतवाणी सुनने का मौका मिलेगा। इन महागुरुओं में साध्वी ऋतंभरा भी शामिल हैं, जो एक साध्वी, धार्मिक कथा वाचक और राजनीतिज्ञ भी हैं। वो इस संकट के समय में विश्व शांति की चर्चा करते हुए आपसी सहयोग और सामंजस्य का संदेश देंगी।
साध्वी ऋतंभरा अपनी कथाओं में राम कथा और कुछ धार्मिक कहानियों का व्याख्यान करती हैं। जब ये 16 वर्ष की थी, तब इनके गांव में युग पुरुष महा मंडलेश्वर स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज पधारे थे, जिसके बाद इन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था।
साध्वी ने वैश्विक महामारी को लेकर कहा कि इस सारी परिस्थिति में लोगों ने लोक जीवन की सारी विचित्रता का दर्शन किया होगा। जिंदगी की ये विचित्रता हमारी ही काया, हमारा मन और हमारा शरीर कौन से तत्वों से संचालित होता है? पोषण के बिना शरीर और प्रेम-भक्ति और भावनाओं के बिना मन की खुराक पूरी नहीं होती। आत्मा को जाना नहीं जाता, आत्मस्थ हुआ जाता है।
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