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महिंद्रा ग्रुप के MD और सीईओ से पत्रिका की खास बातचीत, पवन गोयनका बोले- लॉकडाउन के बाद बीएस-6 की बिक्री होगी शुरू

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर दुनिया की इकोनॉमी लगातार गिरती जा रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इस महामारी की गहरी चोट पहुंची है। देश की जीडीपी लगातार गिरावट की ओर है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार और औद्योगिक जगत के बीच मंथन जारी है। इस संकट से उबरने और अर्थव्यवस्था को कैसे गति मिले को लेकर पत्रिका ने महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के एमडी और सीईओ पवन गोयनिका से बातचीत की। पत्रिका ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए गोयनका से कई सवाल पूछे। जिसपर गोनयका ने बेबाकी से बात रखी और सरकार को इस संकट से निकालने के लिए कई सुझाव दिए। बातचीत के कुछ मुख्य अंश ये रहें।

सवाल- पोस्ट कोविड लोगों की ट्रेवलिंग हैबिट बदलेगी, आप इसे कैसे देख रहे हैं?

गोयनका— बिलकुल कोविड के बाद जीवनशैली में बदलाव दिखेगा। ट्रैवल कम हो जाएगा। कंपनियों में भी मैजमेंट के लेवल पर 70 फीसदी ट्रैवल कम हो जाएगा। अभी आधे घंटे की मीटिंग के लिए लोग पूरा दिन सफर करते हैं, लॉकडाउन के बाद समझ आया कि इसकी जरूरत ही नहीं है। इसके साथ ही हम अपने ग्राहकों की आदतों को देखकर आने वाले दिनों में अपने मॉडल में भी बदलाव लाएंगे।

सवाल- इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर काफी चर्चा है पोस्ट कोविड के बाद कैसे देख रहे हैं?
गोयनका— सबसे पहली बात यह है कि आज वातावरण साफ है। साथ ही क्रूड ऑयल की कीमत कम हो रही हैं। वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल महंगी है, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल मेक इन इंडिया के लिए एक अच्छा अवसर है। सरकार इसे बढ़ाने के लिए फोकस कर रही है।

प्रश्न- नेटवर्क के पास बीएस-4 इंजन की गाड़ियां पड़ी हैं, लेकिन अब बीएस-6 इंजन वाली गाड़ी बिकेंगी, कैसे देखते हैं?
गोयनका— इसको लेकर लोगों में कुछ गलतफहमिया हैं। बीएस—4 का स्टॉक डीलर्स के पास बहुत कम हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश था कि 31 मार्च तक बीएस—4 गाड़ियां बेचने थी। ऐसे में डीलर्स के पास अब बीएस—4 नहीं हैं। खासकर महिद्रा के पास तो बिलकुल नहीं हैं। आज की तारीख में बीएस-6 गाड़ियां डीलर्स के पास पहुंच चुकी हैं। ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद बीएस—6 की बिक्री शुरू हो जाएगी।

सवाल— लॉकडाउन के बाद घरेलू सेल्स को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों की क्या रणनीति होगी?
गोयनका- ग्रामीण इलाकों पर सबसे पहले हम फोकस करेंगे, क्योंकि मार्केट की संभावना यहीं पर दिख रही है। किसान हो या छोटे कारोबारी या फिर शादी सीजन, इसमें गाड़ियों की डिमांड बढ़ेगी। ऐसे में हमारा पूरा फोकस गांवों की तरफ होगा। इसी लिए उन मॉडल पर फोकस कर रहे हैं, जिनकी डिमांग ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है।

सवाल— मेक इन इंडिया में सप्लाई चेन को कैसे मैनेज करने की जरूरत?
गोयनका— सप्लाई चेंज में बदलाव बेहद जरूरी है। लेकिन यह रातों—रात संभव नहीं हो सकता। कम से कम तीन से चार साल का वक्त लग जाता है। 18 से 20 फीसदी बिलियन इंपोर्ट करते हैं। मेक इन इंडिया का आज 10 फीसदी तक एक्सपोर्ट कर सकते हैं। इंडिया में जो सप्लायर्स हैं वह बेहतर हैं, लेकिन हमें इसके लिए और काम करना होगा।
सवाल— वक्त बुरा है, ऐसे में इंडस्ट्री से जुड़े नेटवर्क के साथ कैसे खड़े हैं?
गोयनका— हम कार बनाते हैं, बेचते नहीं हैं। बेचने का काम हमारा नेटवर्क करता है। अभी यह समय उनके साथ रिश्ते मजबूत रखने का है। हम उनके साथ खड़े हैं, उनकी इन्वेंटरी से लेकर हर चीज पर नजर है। हमारी कोशिश होगी कि हम पहले उनकी इन्वेंटरी को कम से कम रहने दें, जिससे उन पर कैश इन्वेंटरी का दबाव न बने।

सवाल— क्या कारें और दूसरी गाड़ियां सस्ती होंगी, क्या प्राइस करेक्शन का टाइम है?
गोयनका— पूरी इंडस्ट्री अपनी उत्पादन लागत से लेकर उसको बेचने तक की लागत को वापस देख रहे हैं। अभी तक माना जाता था कि कार खरीदने के लिए घूमकर देखें, लेकिन अब यह बदलेगा। हम आनलाइन खरीदारी को बढ़ावा देंगे। हम कोशिश करेंगे कि ग्राहक का खरीदी से लेकर बाकी सभी काम आनलाइन ही हो जाए। इतना ही नहीं, हम कोशिश करेंगे कि दस दिन के भीतर ग्राहक को डिलेवरी भी मिल जाए। कुल मिलाकर इससे कॉस्ट पर फर्क पड़ेगा और इसका सीधा फायदा ग्राहक को ही मिलेगा। लेकिन कीमत कितनी कम होगी और कब तक होगी, अभी कहना जल्दबाजी होगा।
सवाल— कोविड के बाद इंडस्ट्री में आरएंडडी कम हो जाएगी या फिर कुछ और बदलाव दिखेगा?
गोयनका— देखिए कंपनी रिसर्च में कोई कमी नहीं करने जा रही है। अगर इसमें कोई कटौती की जाएगी तो बहुत बड़ा नुकसान होगा। आने वाले समय में इसमें ज्यादा निवेश किया जाएगा। अभी ज्यादा रिसर्च की जरूरत है। नए रास्ते तलाशने होंगे, नए तरीके खोजने होंगे। जिससे हम उपभोक्ता को ज्यादा बेहतर गाड़ी दे पाएं और हम अपने उत्पादन खर्च से लेकर दूसरे खर्चों को कम कर पाएं।

सवाल— व्यक्तिगत सवाल, तनाव से कैसे खुद को दूर करते हैं?
गोयनका— यह सबसे ज्यादा जरूरी है, एक तनाव से भरा हुआ दिमाग कभी भी साफ और सीधा निर्णय नहीं ले सकेगा। इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी निजी और कारोबारी जिंदगी दोनों में तनाव को दूर रखें। मैं यह सभी को सलाह भी देना चाहता हूं कि विपरीत परिस्थितियां देखकर घबराने की और तनाव लेने की जरूरत नहीं है। सूर्य अगर अस्त होता है तो फिर वह वापस उदय भी होता है। परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं।

सवाल— इंडस्ट्री कैसे वापस रीबूट होगी?
गोयनका— सबसे पहले स्वास्थ्य और सुरक्षा जरूरी है, उसके साथ ही हम वापस काम शुरू कर रहे हैं। पहले प्रोडक्शन को पटरी पर लाना है, फिर इन्वेंटरी को पूरी तरह से मैनेज करना है और उसके बाद कैशफ्लो को देखना है। यह सब कुछ एक प्रक्रिया के तहत होगा। थोड़ा वक्त लगेगा, लेकिन सब ठीक हो जाएगा। बिक्री पर फर्क पड़ेगा, आने वाले महीनों में बिक्री होगी, लेकिन ऐसा नहीं है कि बिक्री नहीं होगी। इसीलिए उसी को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।



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