फिल्म में इरफान खान से पहले मनोज बाजपेयी को ऑफर हुआ था रोल, डायरेक्टर तिग्मांशू धूलिया ने बताया क्यों नहीं मिल सका नेशनल अवॉर्ड
16 मई साल 2004 में रिलीज हुई फिल्म हासिल में नेगेटिव किरदार से इरफान ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग की छाप छोड़ी थी। इस फिल्म के लिए इरफान को बेस्ट विलेन फिल्मफेयर का अवॉर्ड भी मिला था। हाल ही में भास्कर से बातचीत में फिल्म के डायरेक्टर तिग्मांशू धूलिया ने बताया कि इरफान से पहले ये रोल मनोज बाजपेयी को दिया गया था।
डायरेक्टर तिग्मांशू बताते हैं,रणविजय सिंह के लिए मैंने पहले मनोज बाजपेयी को रोल ऑफर किया था। इरफान तो ज्यादा अजीज दोस्त था लेकिन मनोज को भी मैं बहुत अच्छे से जानता था। बिजी होने के चलते उन्होंने मना करते हुए कहा कि और विलेन का रोल नहीं करना। मैंने उन्हें समझाया पर उस वक्त उन्हें पता नहीं क्या लगा और उन्होंने मना कर दिया। मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था तो मैंने सोच लिया कि अब तो यह इरफान से ही कराना है। इरफान को फिल्म की शूटिंग से 10 दिन पहले इलाहाबाद छोड़ दिया था। वहां वह सबके साथ घुले मिले। इलाहाबाद और छात्र नेताओं का मिजाज पकड़ा।
शूटिंग में आई थीं दिक्कतें:
जब मैं इस फिल्म की शूटिंग के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के कैंपस में गया तो मुझे वहां शूटिंग नहीं करने दी गई। इसके बावजूद कि मेरे पास शूटिंग के सारे परमिशन थे। हम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को बैड लाइट में ना दिखा दें इसलिएवहां के छात्र नेताओं ने मुझे वहां शूट नहीं करने दिया गया।इस पर मैंने हालांकि उनसे कहा भी कि अगर रामायण बनती है तो उसमें राम होते हैं तो रावण भी होता है।
एक साल तक फिल्म को नहीं मिला डिस्ट्रीब्यूटर:हम लोगों ने फिल्म तो बना ली मगर वह एक साल तक रिलीज नहीं हो पाई। हम लोग मुंबई में तकरीबन सभी बड़े डिस्ट्रीब्यूटर एक्टर्स प्रोड्यूसर्स को फिल्म दिखाते रहे। सब उसकी तारीफ करते रहे मगर उसे खरीदने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। सबको यही लगता था कि पता नहीं इरफान की फेस वैल्यू पर लोग सिनेमाघर आएंगे या नहीं। फिर एक साल बाद श्रृंगार फिल्म्स ने फिल्म को डिस्ट्रीब्यूट करने में दिलचस्पी दिखाई।पहली बार जब इरफान को विशाल भारद्वाज ने देखा था तो उन्होंने उन्हें मकबूल में ले लिया था। मकबूल, हासिल के बाद बननी शुरू हुई, लेकिन वह पहले रिलीज हो गई।
मिल चुका है कल्ट का दर्जा:उस फिल्म को जो मेरे पहले प्रोड्यूसर ने ढंग से रिलीज नहीं किया जिसके चलते फिल्म को तब कमर्शियली उतनी सक्सेस नहीं मिली। बाद में मगर जब अगली जेनरेशन ने डीवीडी और यूट्यूब पर देखा तो फिल्म को कल्ट का दर्जा दिलवा दिया।
मिल सकता था नेशनल अवॉर्ड:प्रोड्यूसर फिल्म को ढंग से रिलीज नहीं कर रहे थे जिसपर मेरा प्रोड्यूसर साहब के साथ झगड़ा हो गया। जिसके चलते हमारे प्रोड्यूसर ने फिल्म को नेशनल अवॉर्ड के नॉमिनेशन में भेजा ही नहीं। वरना मुझे यकीन है कि इरफान को या मुझे उस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड भी मिल गया होता।
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