कालाष्टमी पर भैरवजी को इस तरह करें प्रसन्न, साथ ही जानें मां शीतला के किस मंत्र का करें जाप
आज ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की उदया तिथि सप्तमी और गुरुवार का दिन है। सप्तमी तिथि आज सुबह 6 बजकर 52 मिनट तक ही रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि लग जायेगी और प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत करने का विधान है। लिहाजा आज कालाष्टमी है।
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार कालाष्टमी के दिन भगवान शंकर के तीन भैरव स्वरूप यानि काल भैरव की उपासना की जाती है। कहते हैं आज के दिन भगवान शंकर के काल भैरव स्वरूप की उपासना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होंगी और आपकी मनचाही मुरादें पूरी होती है। साथ ही आज के दिन काल भैरव के साथ-साथ श्री शीतला माता के निमित्त पूजा-अर्चना व व्रत करने का भी विधान है| स्कन्द पुराण में माता शीतला की अर्चना का स्तोत्र ‘शीतलाष्टक’ के रूप में प्राप्त होता है।
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श्री शीतला माता का मंत्र
शास्त्रों में भगवती शीतला की वंदना के लिए यह पंक्तियाँ भी बताई गई हैं -
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्
अर्थात्- गर्दभ पर विराजमान, दिगम्बरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की मैं वंदना करता हूं।
शीतलाष्टमी को अलग-अलग स्थानों पर बसौढ़ा, बूढ़ा बसौड़ा या बसियौरा के नामों से भी जाना जाता है। शीतला अष्टमी का पर्व हमें पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखने की प्रेरणा देता है।सनातन वांगमय में माता शीतला हाइजीन की देवी हैं, आज कल कोरोना के सिलसिले में जिस हाइजीन की बात हो रही है वो हाइजीन हमारे देश मे हमेशा से था, कुछ
विकृत मनोदशा वाले भारत विरोधी, इसी को छुआ छूत कह कर हमारी परंपराओं का मज़ाक उड़ाते रहे हैं। हर महीने ये दिन हमें हाइजीन के नियम याद दिलाता है। आज पूरा विश्व वही
सब फॉलो कर रहा है जो हम सदियों से करते आए हैं। हमें विश्वास है कि एक दिन पूरा विश्व शीतला अष्टमी का व्रत रहेगा और इसके नियमों का पालन करेगा।
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आप गौर करिए कि इस दिन एक परंपरा ये भी है कि रास्ते के पत्थर को शीतला माता मान कर उसे भी स्नान करा कर उसकी पूजा करते रहे हैं, ये क्या है ? हमें याद दिलाना कि सड़क को भी सैनिटाइज़ करो। कुल मिला कर कोरोना से बचना है तो शीतला माता को फॉलो करिए। कुल मिला कर इस दिन साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। एक बात और इस दिन
बासी या ठण्डा भोजन खाने की परंपरा है। साथ ही ठण्डे पानी से भी नहाने का रिवाज़ है। इसके अलावा आज देर रात 1 बजकर 17 मिनट तक ब्रह्म योग रहेगा। कोई भी
शांतिदायक कार्य करने के लिए यह योग अति उत्तम है और यदि किसी का झगड़ा आदि सुलझाना हो, तो इस योग के दौरान बात करने से अवश्य सफलता मिलती है।
कालाष्टमी के दिन करें ये खास उपाय
अगर जीवनसाथी के साथ आपके संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं, आपके रिश्ते में तालमेल कीकमी बनी हुई है, तो आज के दिन आपको भैरव जी को जलेबी का भोग लगाना चाहिए।
अगर आपको किसी प्रकार का भय बना रहता है, खासकर कि आपको अग्नि या चोरी का भय रहता है, तो आज के दिन आपको भैरव जी को आठ नींबू और आठ काजल की डिब्बी चढ़ानी चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपके जीवन से भय दूर होगा और आपके अंदर पॉजिटिविटी बनी रहेगी। बता दूं कि ये उपाय सभी राशि वाले लोग कर सकते हैं, लेकिन आज की ग्रह स्थिति के अनुसार तुला राशि वालों के लिये ये विशेष फलदायी है।
अगर आप किसी काम में अपनी मदद के लिए सही व्यक्ति की पहचान नहीं कर पा रहे हैं, तो आज के दिन आपको शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर 11 बेल पत्र अर्पित करने चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से आपको सही व्यक्ति की पहचान होगी और आपका काम भी अच्छे से बनेगा। बता दूं कि ये उपाय सभी राशि वाले लोग कर सकते हैं, लेकिन आज की ग्रह स्थिति के अनुसार वृश्चिक राशि वालों के लिये ये विशेष फलदायी है।
अगर ससुराल पक्ष में लोग आपकी बातों को ज्यादा तवज्जों नहीं देते हैं, जिसके चलते परिवार में आपसी मन-मुटाव की स्थिति बन गई है, तो आज के दिन आपको दूध या दूध से बनी मिठाई 11 बच्चों में बांटनी चाहिए। आज के दिन ऐसा करने से ससुराल पक्ष में लोग आपकी बातों को तवज्जों देंगे और परिवार में आपसी मन-मुटाव की स्थिति भी दूर होगी। बता दूं कि ये उपाय सभी राशि वाले लोग कर सकते हैं, लेकिन आज की ग्रह स्थिति के अनुसार सिंह राशि वालों के लिये ये विशेष फलदायी है।
अगर आपके पास धन नहीं रूक पा रहा है, आप धन का संचय नहीं कर पा रहे हैं, जिससे आर्थिक रूप से आपको नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, तो आज के दिन आपको अपने सामने 11 सफेद कौड़ियां रखकर भैरव जी के इस विशेष मंत्र का एक माला, यानि 108 बार जप करना चाहिए। "आं ह्री क्रों बम् बटुकाय आपद् उद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय बम् क्रों ह्रीं आं स्वाहा।।" आज के दिन भैरव जी के इस विशेष मंत्र का जप करने के बाद उन कौड़ियों को संभालकर अपने पास रख लें।
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