फुटबॉल का नया रूप; खाली स्टेडियम, स्क्रीन पर गाइडलाइन, 90 मिनट नहीं खेल पा रहे खिलाड़ी
यूरोप में शनिवार से फुटबॉल शुरू हो गई। लेकिन पोस्ट लॉकडाउन यह खेल वैसा नहीं दिखा, जैसा दो-ढाई महीने पहले दिखा करता था। कोरोना ने दुनिया के सबसे फेमस खेल पर गहरा असर डाला। न स्टेडियम में टीमों और खिलाड़ियों का समर्थन करते हुए फैंस दिखे। न ही मैदान पर गले मिलकर जश्न मनाते खिलाड़ी।
मैदान, डगआउट, मैदान के बाहर सब बदला-बदला दिखा। यहां तक कि मीडियापर्सन भी अलग तरीके से इंटरव्यू लेते दिखे। ऐसी ही चीजें, जो कोरोनाकाल में बदल गईं-
खिलाड़ियों को 70 मिनट में ही क्रैम्प
इतने लंबे ब्रेक ने खिलाड़ियों की फिटनेस पर असर डाला है। कई खिलाड़ी 90 मिनट नहीं खेल पा रहे। उन्हें 70 मिनट में ही क्रैम्प औरछोटी इंजरी हो जा रही है। एक मैच में 5 सब्स्टिट्यूट की अनुमति दी है। पहले जहां 50-60 हजार फैंस होते थे। अब सिर्फ 300 लोग हैं। इसमें खिलाड़ी, कोचिंग स्टाफ, सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।
स्टिक में माइक्रोफोन फंसाकर इंटरव्यू
टेलीविजन रिपोर्टर स्टिक में माइक्रोफोन फंसाकर दूर से खिलाड़ी और मैनेजर का इंटरव्यू ले रहे हैं। वायरस के खतरे से बचने के लिए माइक्रोफोन को भी प्लास्टिक से कवर किया गया है। गोल करने के बाद खिलाड़ी गले मिलकर जश्न मनाने की बजाय कोहनी मिला रहे हैं, थम्स-अप कर चीयर कर रहे हैं।
डगआउट में सब्स्टिट्यूट और कोच
मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए दूर-दूर बैठे हैं। पहले खिलाड़ी 2-2 बसों में आते थे। अब कई बस में स्टेडियम पहुंच रहे हैं। स्टाफ से हाथ नहीं पैर मिला रहे।मैच के पहले और बाद में खिलाड़ी ऑफिशियल्स से हाथ मिलाते थे और गले मिलते थे। अब हाथ नहीं पैर मिला रहे हैं।
स्क्रीन पर कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन
पहले स्टेडियम में लगे स्क्रीन और बिलबोर्ड पर मैच से जुड़े आंकड़े और खिलाड़ियों के फोटो-वीडियो दिखाई देते थे। अब उस पर कोरोना से जुड़ी गाइडलाइन डिस्प्ले हो रही है।मैच के दौरान फुटबॉल सैनिटाइज की जा रही है।
मैच में 30 गेंद इस्तेमाल की जा रही है। बॉल बॉय फुटबॉल सैनिटाइज करने के बाद खिलाड़ियों को देने की बजाए निर्धारित स्थान पर रख रहे।
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