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फेडरेशन ने डेली वेजेज वर्कर्स के लिए सेट पर अनिवार्य किया 50 लाख का इंश्योरेंस, प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने जताई आपत्ति

पिछले तीन महीनों से टीवी, वेब सीरीज और फिल्मों की शूटिंग रुकी हुई है। फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलाइज के ब्लैंकेट निर्देश पर कहीं भी कोई एक्टिविटी नहीं हो रही है। मगर अब फेडरेशन प्रोड्यूसर्स को ढील दे रहा है।

फेडरेशन के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में पुष्टि कर दी है कि किसी भी सेट पर अगर हमारे गाइडलाइंस को फॉलो किया जाता है तो उन्हें शूटिंग की परमिशन हम लोगों की तरफ से है। वह चाहे सीरियल हों, फिल्म या फिर वेब शो। फेडरेशन ने डेली वेजेज वर्कर्स के लिए 50 लाख का इंश्योरेंस करना अनिवार्य किया है। इस पर उनका प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के साथ मतभेद गहरा गया है।

सिर्फ इनडोर शूटिंग की इजाजत

बी एन तिवारी ने बाकी जानकारी देते हुए कहा, 'यह जरूर है कि अभी किसी भी फिल्म सीरियल या वेब शो को आउटडोर में शूट करने की इजाजत नहीं होगी। शूटिंग के सेट पर 100 या उससे ज्यादा वर्कर की भी मौजूदगी को हम लोग सुनिश्चित करवा रहे हैं। किसी का काम नहीं छूटेगा। प्रोड्यूसर दो से तीन यूनिट में इन वर्कर्स को बांट कर काम करेंगे।'

बड़े बजट की फिल्मों को करना होगा इंतजार

अभी सारी शूटिंग इनडोर होंगी। 100 के अंदर ही लोगों के साथ शूटिंग संभव है। केवल उन्हीं फिल्मों और वेब शो को शूट करने की इजाजत जून के आखिर से होगी। जाहिर तौर पर बड़े बजट की फिल्मों को परमिशन नहीं होगी, क्योंकि वहां पर डांस सीक्वेंस में ही हीरो हीरोइन के पीछे 100 से 300 बैकग्राउंड डांसर्स होते हैं। कोई एक्शन सीक्वेंस हो तो वह भी बगैर डेढ़ सौ से कम लोगों के बिना संभव नहीं है। उस सिचुएशन में बड़े बजट की फिल्में और वेब शो को तो अनुमति अभी नहीं है।

डेली वेजेज वर्कर्स का इंश्योरेंस अनिवार्य

बाकी प्रोड्यूसर्स को सेट पर मौजूद हर एक डेली वेजेस वर्कर्स का 50 लाख का इंश्योरेंस करवाना होगा। यह रकम बहुत ज्यादा नहीं है। टर्म इंश्योरेंस आता है कोविड-19 के लिए। वह करना होगा। यह रकम अगर प्रोड्यूसर्स के जहन में रहेगी तो वह सेट पर हर तरह की सावधानी लेते हैं। वरना आमतौर पर यह होता रहा है कि कोई अगर सेट कर मर गया तो उसे 10000- 5000 देकर मामला खत्म कर दिया जाता था।

पेमेंट साइकल में भी बदलाव

इसके अलावा फेडरेशन एक 90 दिनों के बाद पेमेंट का साइकल को तोड़ने जा रही हैं। आगे से हर चैनल और प्रोड्यूसर के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह अपने कलाकारों को महीने के आधार पर पेमेंट किया करें।

प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन को है आपत्ति

फेडरेशन के इंश्योरेंस वाले क्लॉज पर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन ने गहरा ऐतराज जताया है। इनकी सबसे बड़ी संस्था में से एक इंपा के प्रमुख टीपी अग्रवाल ने दैनिक भास्कर के साथ प्रोड्यूसर्स का पक्ष रखा है। उन्होंने कहा, 'पहली बात तो यह कि इस तरह के निर्देशों से लैस सर्कुलर मेरे पास भी आया था। फिर मैंने फेडरेशन के कुछ लोगों से बात की। उनका कहना है कि पता नहीं यह कैसे छप गया? लिहाजा इंश्योरेंस वाली रकम पर असल क्लेरिटी अब मैं सारे प्रोड्यूसर्स को लिखकर भेज रहा हूं'।

'50 लाख रुपए के इंश्योरेंस के मामले में दरअसल फेडरेशन सरकार की नकल कर रहा है। सरकार इतनी रकम का बीमा उन लोगों का कर रही है जो इलाज करते हैं। फेडरेशन कौन होती है प्रोड्यूसर्स को बताने वाले कि आप कितने का इंश्योरेंस करें। वर्कर्स को लेकर हम लोग भी उतने ही चिंतित हैं। पहले ही आज की तारीख में कोरोनावायरस इंश्योरेंस है। सबके लिए उपलब्ध है'।

टीपी अग्रवाल आगे यह भी कहते हैं कि फेडरेशन सिर्फ एक भ्रम फैला रही है। जून एंड से तो कतई शूटिंग मुमकिन नहीं है अक्टूबर से पहले शूट नहीं होना है। वह लोग प्रोड्यूसर्स को गलत उम्मीद दे रहे हैं।टीवी की शूटिंग महीनों सालों तक होती है, लेकिन एक फिल्म की शूटिंग 30 से 20 दिन में हो जाती है। वहां पर 50 लाख इंश्योरेंस एक-एक वर्कर का कहां पॉसिबल है।

एक फिल्म के सेट पर 70 से 80 डेली वेजेस वर्कर होते हैं। ऐसे में सबका 50 लाख का इंश्योरेंस प्रैक्टिकल नहीं है।खासतौर पर जो छोटे बजट की पिक्चरें हैं उनका तो टोटल बजट ही 50 लाख होता है। जो रीजनल, मराठी की या दूसरी गैर हिंदी भाषाओं की फिल्मों का बजट कम ही सुनने को मिलता है कि एक करोड़ से भी ज्यादा हो। वहां के लोग क्या करेंगे। डेली वेजेस वर्कर्स के लिए कैसे प्रोड्यूसर्स यह कर पाएंगे?



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Federation mandates insurance of Rs 50 lakh on set for daily wage workers, Producers Association objected


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