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शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने कहा कि कोरोनोवायरस से बचाव के लिए मास्क न पहनना एक बड़ी गलती

चीन के रोग नियंत्रण और रोकथाम केन्द्र (सीडीसी) के महानिदेशक जॉर्ज गाओ ने हाल ही साइंस मैगजीन को दिए एक खास साक्षात्कार में वुहान, कोरोना वायरस और चीन की प्राथमिकताओं के बारे में बताया। उन्होंने यह भी बताया कि चीन से कहां चूक हुई और अब चीन में इस वायरस को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। गाओ वर्तमान में दो हजार से ज्यादा शोधकर्ताओं के साथ न केवल लोगों की देखभल करने में जुटे हैं बल्कि वे खुद भी कोरोना वायरस पर शोध कर रहे हैं। जनवरी में वह उस टीम का हिस्सा थे जिसने गंभीर कोविड-19 वायरस के शुरुआती आइसोलेशन और कोरोना वायरस के जीनोम की सीक्वेंसिंग की थी। उन्होंने द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में दो और द लॉकेट में कोविड-१९ पर तीन और शोधपत्र प्रकाशित किए हैं। उनकी टीम ने चीनी शोधकर्ताओं और विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम के बीच JOINT COMMISION को बहुत महत्वपूर्ण डेटा प्रदान किए जिसने महामारी की प्रतिक्रिया को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जैव रसायन विज्ञान और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरेट किया है। वे इम्यूनोलॉजी और वायरोलॉजी में भी विशेषज्ञ हैं। उनका शोध उन विषाणुओं की विशेषज्ञता बताता हैए जिनमें नाजुक लिपिड झिल्ली होती है जैसी कोविड-19 की संरचना में भी है। उनका शोध यह भी बताता है कि कोरोना वायरस हमारी कोशिकाओं में कैसे प्रवेश करते हैं और कैसे अपनी आबादी को तेजी से बढ़ाते हैं।

शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने कहा कि कोरोनोवायरस से बचाव के लिए मास्क न पहनना एक बड़ी गलती

सवाल: चीन ने जिस तरह कोरोना से जंग लड़ी है उससेबाकी दुनिया क्या सबक ले सकती है?
उत्तर: किसी भी संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए सामाजिक अलगाव ही सबसे कारगर रणनीति है, खासकर अगर यह श्वांस से जुड़ा संक्रमण है। पहलेए हमने 'नॉन-फॉर्र्मास्यूटिकल स्ट्रैटेजी' का इस्तेमाल किया, क्योंकि संक्रमण की इस समय भी कोई दवा या कारगर उपचार उपलब्ध नहीं है। दूसरा हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि संक्रमित और संदिग्धों को तुरंत अलग कर दें। तीसरा, करीबी लोगों को भी क्वारंटाइन करना बेहद जरूरी है। चौथा, पूरे देश में सभी सार्वजनिक समारोहों को स्थगित कर दिया गया। पांचवां, लॉकडाउन और हॉटस्पॉट इलाकों में कफ्यू जैसा माहौल बनाना ही जरुरत है।


सवाल: अभी दूसरे देश क्या गलतियां कर रहे हैं?
उत्तर: अमरीका और यूरोपीय देशों में सरकारों और आम नागरिकों ने सबसे बड़ी गलती यह की कि उन लोगों ने फेस मास्क नहीं लगाए। यह वायरस छींकने से उत्पन्न बूंदों और उसके संपर्क में आने वाले लोगों से फैलता है। जब हम बोलते हैं, सांस लेते हैं, छींकते या खाते-पीते हैं तो ये वायरस से भरी बूंदें हमेशा बूंदें निकलती रहती हैं। बहुत से लोगों को एसिम्प्टोमैटिक या प्रीसिम्पटिक संक्रमण होता है। यदि वे फेस मास्क पहन रहे हैं तो यह उन बूंदों को रोक सकता है जो वायरस को दूसरों से बचने और संक्रमित करने से रोकते हैं।

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सवाल: चीन में मौतें कम हुई और जल्दी ही काबू भी पा लिया गया, क्या यह हर्ड इम्यूनिटी के कारण हुआ?
उत्तर: नहीं, हमें अभी तक इसका जवाब नहीं मिला है। इसलिए हम अब भी ज्यादा से ज्यादा एंटीबॉडी टैस्ट के परिणाम आने का इंतजार कर रहे हैं। इससे हमें संक्रमित लोगों की वास्तविक संख्या का पता लगेगा साथ ही यह भी कि अभ्ज्ञी तक किया गयाउपचार कितना कारगर है। चीन में अभी हम सभी वैज्ञानिक और शोधकर्ता दवा और वैक्सीन दोनों बनाने का प्रयास कर रहे हैं।


सवाल: बहुत से वैज्ञानिक रेमडेसिविर को कोरोना वायरस का सबसे कारगर उपचार मान रहे हैं, आप कितना सहमत हैं?
उत्तर: अप्रेल के अंत तक परीक्षण के परिणम आने तक इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। फिलहाल हम लोग दवा और टीके का परीक्षण मानव रिसेप्टर एसीई२ को बंदरों और चूहों में इंजेक्ट कर उन पर परीक्षण कर रहे हैं। चीन में चूहों का प्रयोग सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। लेकिन बंदरों पर किए गए परीक्षण से कोरोना वायरस को हराने वाली दवा मिलने की ज्यादा उम्मीद है।

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