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कोरोना वायरस अभी अपने चरम पर नहीं पहुंचा, अभी काबू करना ही समझदारी-प्रो.पॉली रॉय

भारतीय मूल की डॉक्टर पॉली रॉय एक संक्रामक रोग विशेषज्ञ और लंदन स्थित पैथोजीन आणविक जीवविज्ञान विभाग में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में वायरोलॉजी की प्रोफेसर हैं। वे अभी दुनिया भर के शोध संस्थानों की ओर से चलाए जा रहे शोधों और विभिन्न आरएनए वायरस पर काम कर रही हैं। बीते तीन सालों से उनकेकाम का मुख्य विषय विशेष रूप से ब्लूटेन्गू वायरस या बीटीवी है जो एक जटिल स्तर का वायरस है। रॉय ने बुनियादी आणविक और कोशिका जीव विज्ञान, उनकी परमाणु संरचना, वायरस प्रविष्टि के तंत्र, जीनोम संश्लेषण, आरएनए पैकेजिंग, कैप्सिड असेंबली, इनग्रेड और इन वायरस के सेल-टू-सेल ट्रांसमिशन को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने प्रभावकारी वीएलपी वैक्सीन, बीटीवी और अफ्रीकी हॉर्स बीमारी वायरस या एएचएसवी और वैकल्पिक चिकित्सीय संभावनाओं के अलावा वैकल्पिक एंट्री रेप्लेंट रिप्लेसमेंट एबर्टिव टीके या ईसीआरए भ्ज्ञी विकसित किया है। यही वजह है कि रॉय के काम को दुनिया भर में मान्यता और कई पुरस्कार मिले हैं। वायरस अनुसंधान में सेवाएं देने के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के आदेश के अधिकारीय चिकित्सा विज्ञान अकादमी की फैलोशिप और भारतीय विज्ञान कांग्रेस के महामहिम राष्ट्रपति का स्वर्ण पदक भी उन्हें मिल चुका है। कोरोना वायरस के संक्रमण पर इस प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट का कहना है कि कोविड-१९ नोवेलकोरोना वायरस अब भी अपने चरम पर नहीं पहुंचा है। इस समय अगर कोरोना वायरस का जवाब किसी के पास है तो वह ये वॉयरोलॉजिस्ट ही हैं। हाल ही एक इंटरव्यू में उन्होंने कोरोनावायरस पर भी अपने विचार साझा किए।

कोरोना वायरस अभी अपने चरम पर नहीं पहुंचा, अभी काबू करना ही समझदारी-प्रो.पॉली रॉय

वायरस क्या होता है और यह हमें बीमार कैसे करता है?
एक वायरस दो रासायनिक घटकों न्यूक्लिक एसिड (जैसे जीनोम या आरएनए) और एक सुरक्षात्मक प्रोटीन कवच से बना होता है। कुछ वायरस में लिपिड का एक अतिरिक्त दूसरा कवच भी होता है जो उन्हें मनुष्यों और जानवरों की कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। वायरस परजीवी हैं क्योंकि उन्हें होस्ट सेल प्रक्रियाओं पर निर्भर करना पड़ता है अपनी संख्या बढ़ाने के लिए। एक तरह से वे जीवित रहने के लिए कोशिकाओं से जीवित रहने की सभी जरूरी चीजें छीन लेते हैं और ्रधीरे-धीरे सेल पर कब्जा कर लेते हैं। नतीजतनए मेजबान सेल ठीक से काम नहीं कर सकता है और पैथोलॉजी होती है।

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क्या कोरोनावायरस को रोका जा सकता है?
मैं तीन दशकों से आरएनए वायरस का अध्ययन कर रही हूं क्योंकि ये वायरस डीएनए वायरस की तुलना में अधिक तेजी से विकसित होते हैं। यह एक हैरानी की बात है कि वायरस केसमूह में सभी आरएनए वायरस अलग-अलग होते हैं। वे हमेशा विकसित होने का प्रयास करते रहते हैं। नोवेल कोरोनोवायरस की शुरुआत में वारयरोलॉजिस्ट और वैज्ञानिक मान रहे थे कि यह अपने परिवार के पिछले सदस्य सार्स वायरस की ही तरह रास्ता तय करेगा और संभवत: जल्दी ही गायब हो जाएगा। लेकिन शुरुआत में यह नहीं मालूम था कि इसका संक्रमण अब तक के कोरोना वायरसों में सबसे तेज है। यह पूर्वके वायरसों की तुलना में कहीं अधिक संक्रामक है और किसी भी मध्यवर्ती जानवर या कीट के बिनाए सीधे मनुष्यों के बीच आसानी से प्रसारित होता है।

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कोरोनावायरस कितना खतरनाक है?
किसी भी वायरस के उभरने से पहले कोई भी इस तरह की महामारी के बारे में भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। एक बेहतर तरीका यह है किविभिन््रन देशों की सरकारें और कानून निदान और वैक्सीन को जल्द से जल्द लागू करने में सक्षम हों। संक्रमित रोगियां की पहचान, संदिग्धों पर निगरानी, जल्दसे जल्द टीके या दवा का विकास तेजी से करने की आवश्यकता है।

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क्या वृहदस्तर पर जांच ही उपाय है?
फिलहाल तो टीके के आ जाने तक यही एक तरीका है। परीक्षण यह बता देता है कि किसे लोगों से दूर रखने की जरुरत है और किसे नहीं। इससे काफी संसाधन और परिश्रम बच जाता है। इसलिए यदि संभव हो तो नियमित रूप से परीक्षण करें। मेरा मानना है कि एक और साल भर के अंदर ही हमारे पास कोरोना के लिए एक से अधिक कारगर टीका उपलब्ध होगा।

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क्या कोरोना का असली प्रकोप अभी बाकी है?
रॉय का कहना हैकि कुछ देशों में कोरोना से होने वाली मौत रेकॉर्ड तो चुके हैं। हालांकि अभी अच्छी बात यह है कि यह महामारी अभी अपने शीर्ष तक नहीु पहुंची है। वर्तमान में हम इस महामारी को कैसे नियंत्रित करते हैं इसी के आधार पर हम कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर को रोक सकेंगे।

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