पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी 6 जनवरी को, सूर्यास्त के बाद करें तुलसी पूजा और बोलें तुलसी मंत्र
जीवन मंत्र डेस्क. सोमवार, 6 जनवरी को पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस तिथि पर भगवान श्रीहरि के लिए व्रत-उपवास किया जाता है। स्कंद पुराण के एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों का महत्व बताया गया है। पौष मास की इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन किए गए व्रत-उपवास से संतान का सौभाग्य बढ़ता है, ऐसी मान्यता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार विष्णुजी को तुलसी के बिना भोग नहीं लगाया जाता है। विष्णुजी के साथ ही एकादशी पर तुलसी पूजन की भी परंपरा प्रचलित है। यहां जानिए तुलसी पूजा से जुड़ी खास बातें...
तुलसी को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी माना गया है। इसलिए मान्यता प्रचलित है कि एकादशी पर तुलसी पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। एकादशी की शाम तुलसी के दीपक जलाकर मंत्र जाप करना चाहिए। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी को जल नहीं चढ़ाना चाहिए और स्पर्श भी नहीं करना चाहिए। तुलसी पूजा करते समय तुलसी नामाष्टक मंत्र का जाप करना चाहिए...
ये है तुलसी नामाष्टक मंत्र
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी। पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।एतनामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम। य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलभेत।।
ऐसे कर सकते हैं इस मंत्र का जाप
- स्नान के बाद तुलसी की पूजा और परिक्रमा करें। तुलसी के पौधे को गंध, फूल, लाल वस्त्र अर्पित करें। फल का भोग लगाएं। घी का दीप जलाएं। इसके बाद तुलसी के सामने बैठकर तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें।
- मंत्र जाप करते समय मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम 108 बार करें। जाप के बाद भगवान से परेशानियां दूर करने की प्रार्थना करें और पूजा में हुई भूल-चूक की क्षमा प्रार्थना करें।
- तुलसी के पास बैठकर तुलसी की माला की मदद से तुलसी गायत्री मंत्र का जाप भी किया जा सकता है।
ये है तुलसी गायत्री मंत्र
ऊँ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।इस मंत्र जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
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January 05, 2020 at 01:37PM
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