Header Ads

Liver Cirrhosis के इलाज की राह हुई आसान, नए शोध में मिली सफलता

ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने चूहों पर किए गए अध्ययन से लीवर में होने वाले सख्तपन यानि फाइब्रोसिस की बीमारी को समझने में अहम जानकारी हासिल की है. इस जानकारी की मदद से भविष्य में इस बीमारी का बेहतर इलाज ढूंढा जा सकता है.

लिवर (Liver) हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंदरूनी अंग होता है. फाइब्रोसिस में लीवर (Liver) की कोशिकाएं (Cells) धीरे-धीरे सख्त हो जाती हैं और काम करना बंद कर देती हैं. इसकी वजह से लीवर (Liver) खराब हो सकता है.

Medical University of Vienna and the Center for Molecular Medicine (आणविक चिकित्सा केंद्र) के वैज्ञानिकों ने दो तरह के चूहों का अध्ययन किया, जिन्हें लीवर (Liver) की बीमारी थी. उन्होंने इन चूहों के जीन की जांच की.

यह भी पढ़ें-Liver Cancer Symptoms : फ्लू जैसे लक्षण? सावधान हो जाएं, इस जानलेवा बीमारी का हो सकता है खतरा

अध्ययन के नतीजे iScience नाम की पत्रिका में छापे गए हैं. इन नतीजों से पता चलता है कि लीवर का सख्तपन कम करने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिल सकती है. वैज्ञानिकों ने पाया कि बीमारी बढ़ने के साथ कुछ जीन सक्रिय हो जाते हैं, जबकि यह कम होने पर निष्क्रिय हो जाते हैं.

कुछ जीन में तो लगातार बदलाव देखने को मिले, जिससे पता चलता है कि लीवर (Liver) को होने वाले नुकसान का असर लंबे समय तक रह सकता है. जीन की जानकारी का बीमारी के संकेतों से मिलान कर के वैज्ञानिकों ने बीमारी पैदा करने वाले जीनों की पहचान की है. उन्हें चार ऐसे प्रमुख जीन मिले हैं, जो फाइब्रोसिस, लीवर में रक्त प्रवाह से जुड़े दबाव, ऊतक जांच (Biopsy) के नतीजों और खून में पाए जाने वाले संकेतों से जुड़े हुए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन प्रमुख जीनों को जांच के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

अध्ययन के नतीजों की पुष्टि के लिए लीवर (Liver) की बीमारी से ग्रस्त मरीजों पर भी जांच की गई और नतीजे सकारात्मक पाए गए.



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/FO6zyYu

No comments

Powered by Blogger.